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गेहूं को लग जाते हैं ये रोग, पूरी फसल को कर सकते हैं बर्बाद

किसान भाई इनका ध्यान रखें

 

गेहूं की फसल के लिए अधिक सर्दी बेशक अच्छी मानी जाती है.

लेकिन कई तरह कवक जनित व अन्य रोग गेहूं को बर्बाद भी करते हैं. किसानों को उनसे सावधान रहने की जरूरत है.

 

देश के अधिकांश हिस्सों में गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है. जबकि कुछ हिस्सों में बुवाई जारी है.

विशेषज्ञों का कहना है कि पाला आलू, सरसों समेत अन्य रबी फसलों के लिए नुकसान पहुंचाता है.

वहीं अधिक सर्दी पड़ना गेहूं की सेहत के लिए बेहद लाभकारी है. आलू कम सिंचाई वाली फसल है.

इसलिए फसल में अधिक पानी होना इसे कई बार नुकसान पहुंचाता है.

आइए आज हम जानते हैं कि और कौन-कौन से रोग गेहूं को नुकसान पहुंचाते हैं.

 

करनाल बंट रोग

यह गेहूं में होने वाला प्रमुख रोग है. यह रोग मृदा, बीज एवं वायु जनित रोग है.

गेहूं में होने वाला करनाल बंट टिलेटिया इंडिका नामक कवक से पैदा होता है. इसे आंशिक बंट कहा जाता है.

इस रोग के होने पर गेहूं की बाली में काला बुरादा जैसा भर जाता है. बाद में इसमें से सड़ी हुई मछली जैसी बदबू आती है.

ऐसा ट्राईमिथाइल एमीन के कारण होता है. यह गेहूं के बड़े क्षेत्र को प्रभावित करता है. इसलिए इसे गेहूं का कैंसर कहते हैं.

 

अनावृत कंड रोग

गेहूं में होने वाला प्रमुख रोग अनावृत कंड लूज स्मट के नाम से भी जाना जाता है. यह बीज जनित रोग है.

इसका कारक अस्टीलेगो न्यूडा ट्रिटिसाई नामक कवक है. इस रोग में पौधों की बालियां काली होने लगती है.

बाद में पौधा सूख जाता है. यह बड़े फसली क्षेत्र को प्रभावित करता है. इसके होने पर गेहूं की उत्पादकता तेेजी से घटती है.

चूर्णिल आसिता रोग

चूर्णिल आसिता मृदा एवं हवा से होने वाला रोग है. इसका प्रमुख कारण ब्लूमेरिया ट्रिटिसाई नामक कवक है.

इस रोग के होने पर पौधों की पत्ती, पर्णव्रतों और बालियों पर सपफेद चूर्ण जमा जाता है.

बाद में यह पूरे पौधे पर फैल जाता है. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बंद होने के कारण पौधे की मौत हो जाती है.

 

अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट डिसीज

गेहूं की फसल का यह प्रमुख रोग है. इसका कारण अल्टरनेरिया ट्रिटिसाई नामक कवक है.

इस कवक के लगने पर पत्तियों पर छोटे अंडाकार पीले रंग के क्लोरोटिक घाव दिखने लगते हैं.

हालांकि पौधा यदि बड़ा हो तो यह रोग उतना असरदार नहीं रहता है. छोटा पौधा होने पर यह बीमारी अधिक प्रभाव डालती है.

पौधों की निचली पत्तियों पर इसे धब्बे दिखाई देते हैं. बाद में पूरी पत्ती चपेट में आ जाती है. अधिक बढ़ने पर पूरा पौधा ही मर जाता है.

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