नरसिंहपुर जिले के करेली में स्थित बी.एस.एल. पब्लिक स्कूल में ICAR की तरफ से गाजरघास उन्मूलन कार्यशाला का ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन किया गया है.
इस दौैरान वैज्ञानिकों ने बताया कि गाजरघास को एक मित्र कीट के जरिए खत्म कर सकते हैं.
रोकथाम के लिए उपाय
हर साल किसान बेहतर मुनाफे की उम्मीद के चलते फसल लगाते और खूब मेहनत से खेती करते हैं.
हालांकि, उनकी ये मेहनत कई बार प्राकृतिक आपदाओं तो कई बार फसल में लगने वाले रोगों के चलते बेकार हो जाती है.
खेतों में फसलों के बीच अपने आप उग आने वाली गाजरघास से भी किसानों को काफी नुकसान होता है.
गाजरघास एक हानिकारक पौधा है जो हर तरह के वातावरण में तेजी से उगता है.
फसलों के साथ-साथ ये इंसानों और जानवरों को भी नुकसान पहुंचाता है.
इसके संपर्क में आने वाले लोग चर्म रोग तक का शिकार हो जाते हैं.
इस गाजरघास से निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिक एक तरीके के साथ आए हैं.
मित्र कीट की मदद से गाजरघास को कर सकते हैं नियंत्रित
नरसिंहपुर जिले के करेली में स्थित बी.एस.एल. पब्लिक स्कूल में ICAR की तरफ से गाजरघास उन्मूलन कार्यशाला का ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन किया गया.
गाजरघास को कैसे खत्म किया जाए इसका तरीका भी बताया गया.
दरअसल, गाजरघास को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक मित्र कीट खोज निकाला है.
यह कीट सिर्फ गाजरघास को नष्ट करते हैं. फसल को इनसे किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है.
कीट की प्रजनन क्षमता बहुत है यह बहुत तेजी से अपने परिवार को बढ़ाता है और गाजर घास पर नियंत्रण कर लेता है.
वैज्ञानिकों का है ये तर्क
ICAR के वैज्ञानिक जेएस मिश्रा बताते हैं कि यह कीट गाजर घास को खत्म करने में कारगर है.
एक हेक्टेयर में 50000 से 6000 कीट पर्याप्त हैं. ये कीट केवल गाजर घास नष्ट करते हैं.
फसलों के लिए ये कीट किसी भी प्रकार का नुकसानदायक नहीं है.
इनसे पर्यावरण को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है.
वनस्पति के सहारे भी गाजरघास का रोकथाम संभव
वैज्ञानिकों के मुताबिक, गाजरघास को एक वनस्पति के सहारे भी खत्म किया जा सकता है.
आयुर्वेद में इसे चकोड़ा नाम से जानते हैं. जहां गाजरघास उग रही है, वहां इस वनस्पति को लगाने से वह नियंत्रित हो जाता है.
इसके अलावा गेंदे के फूलों से भी गाजरघास को नियंत्रित किया जा सकता है.