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नर्मदांचल की धरती पर महिला किसान ने की हल्दी की खेती

नर्मदांचल की धरती पर आंध्रप्रदेश की सुरोमा किस्म की हल्दी की खेती कर महिला किसान लाखों रुपए की कमाई कर रही हैं।

साथ ही, 10 लोगों को रोजगार भी दे रही हैं। अब अन्य किसान भी हल्दी की खेती के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

उद्यानिकी विभाग भी पहली बार नर्मदापुरम में हल्दी की खेती को बढ़ावा दे रहा है।

जिले में अब करीब 100 हेक्टेयर में हल्दी की बोवनी की गई है।

 

8 महीने में 4 लाख का प्रॉफिट

‘स्मार्ट किसान’ सीरीज में इस बार आपको मिलवाते हैं नर्मदापुरम जिले के ग्राम सोमलवाड़ा की महिला किसान कंचन शरद वर्मा से।

कंचन ने बीए होम साइंस की पढ़ाई की है। उनके पति शरद वर्मा उन्नत किसान हैं।

जैविक अनाज, फल के उत्पादन में परिवार की अलग पहचान है।

कंचन वर्मा ने एक एकड़ में 40 क्विंटल गेहूं की पैदावार कर 2020 में कृषि कर्मण अवॉर्ड जीता था।

बेंगलुरु के तुमकुर में आयोजित कार्यक्रम में PM मोदी ने अवॉर्ड प्रदान कर सम्मानित किया था।

2020 में PM मोदी ने कृषि कर्मण अवॉर्ड प्रदान कर सम्मानित किया था।

 

आंध्रप्रदेश की किस्म, दूसरे भी हो रहे प्रेरित

कंचन वर्मा ने बताया कि हमारी हल्दी की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि हमें इसे बेचने के लिए ज्यादा प्रचार-प्रसार या मंडी जाने की जरूरत नहीं पड़ती है।

हमारे यहां आसपास के गांव और शहरों से लोग हल्दी लेने आते हैं। घर से ही पूरी हल्दी बिक जाती है। अधिकांश व्यापारी थोक में खरीदकर ले जाते हैं।

कंचन, उनके पति शरद वर्मा और परिवार सोमलवाड़ा गांव से दूर खेत में ही रहता है। उनका फार्म हाउस भी है।

वे क्षेत्र के उन्नत और जैविक खेती के क्षेत्र में बड़े किसान है। सैकड़ों एकड़ खेती में अनाज का उत्पादन करते हैं।

घर के आसपास अमरूद, कटहल, बैंगन, भिंडी समेत अन्य फल-सब्जियों के भी बगीचे लगाए हैं।

 

एक एकड़ में 1.20 लाख रुपए तक मुनाफा

कंचन के अनुसार उन्होंने पहले साल एक एकड़ में हल्दी की बोवनी की। 100 क्विंटल गीली हल्दी से 17 क्विंटल पक कर हल्दी तैयार हुई।

एक एकड़ में लागत 50-60 हजार रुपए आई। 17 क्विंटल हल्दी बेचने पर 1.70 लाख रुपए मिले।

यानी 1.20 लाख की आय हुई। 4 एकड़ में साढ़े 4 लाख की आय हुई। इस बार फिर 6 एकड़ में हल्दी लगाई है। पौधे में निढ़ाई चल रही है।

 

हल्दी की खेती के लिए जिले की मिट्‌टी उपयुक्त

किसान कंचन की मेहनत के बाद हल्दी में हुए मुनाफे को देखकर उद्यानिकी विभाग ने भी नर्मदापुरम जिले में हल्दी की फसल को बढ़ावा दिया।

उद्यानिकी विभाग की उप संचालक रीता उईके ने बताया कि जिले की मिट्‌टी हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त है।

यहां की जलवायु हल्दी की खेती के लिए अनुकूल है। पहली बार जिले में करीब 100 हेक्टेयर के रकबे में हल्दी की बोवनी की गई है।

सिवनी मालवा, पिपरिया आदि क्षेत्रों में किसानों को हल्दी की फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। किसान इसे अपना रहे हैं।

पिछले दो-तीन साल से बोवनी करने वालों की संख्या बढ़ी है, इसलिए हल्दी के बीज पर विभाग की तरफ से किसानों को 40 फीसदी तक सब्सिडी भी दी जा रही है। एक एकड़ में करीब 8 क्विंटल बीज लगता है।

 

कब और कैसे करनी चाहिए हल्दी की खेती

हल्दी की फसल 8 से 9 महीने में तैयार होती है। मई, जून में खेत तैयार कर इसकी बोवनी कर सकते हैं।

एक एकड़ में करीब 8 क्विंटल बीज लगा सकते हैं। इसकी लागत 60 से 70 हजार रुपए प्रति एकड़ आती है।

जिससे एक से डेढ़ लाख रुपए की आय प्रति एकड़ प्राप्त हो सकती है। एक एकड़ में करीब एक क्विंटल बीज लगता है।

जिसमें करीब 100 क्विंटल गीली हल्दी का उत्पादन होता है। कच्ची हल्दी से पक्की हल्दी तैयार होकर करीब 17 क्विंटल हो जाती है।

पकने के बाद हल्दी का दाम दोगुना हो जाता है। फरवरी, मार्च तक पक्की हल्दी बेचने के लिए तैयार हो जाती है।

किसान शरद वर्मा ने बताया कि हल्दी की बोवनी से पहले खेत की गहरी जुताई की आवश्यकता होती है।

3 ट्रॉली प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालें। इसके बाद 9-9 इंच की दूरी के अंतर से बीज रोपे।

जिसमें प्लांट-टू-प्लांट 8-9 इंच और रो-टू-रो 3 फीट का अंतर हो। इसमें कीड़े या फंगस रोग लगने की चिंता नहीं रहती।

अलग-अलग वैराइटी के हिसाब से ये कम ज्यादा हो सकता है।

बीज की बुआई के समय ध्यान रखना चाहिए कि बीज अच्छी वैराइटी का हो और कम से कम 7 सेमी लंबा हो।

हर 20-25 दिन की अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। मौसम ठंडा है या नमी वाली जगह पर आपने खेती की है तो फिर सिंचाई की जरूरत कम होगी।

 

हल्दी की कौन-कौन सी वैराइटी होती है

हल्दी की कई वैराइटी होती है। किसी का कलर अलग होता है, तो किसी का साइज कम-ज्यादा होता है।

वैराइटी के आधार पर प्रोडक्शन और क्वालिटी में भी फर्क पड़ता है।

आइए कुछ प्रमुख वैराइटी को जानते हैं…

  • सुगंधम: हल्दी की ये किस्म 200 से 210 दिन में तैयार हो जाती है। इसका आकार थोड़ा लंबा होता है और रंग हल्का पीला होता है। प्रति एकड़ 80 से 90 क्विंटल का प्रोडक्शन होता है।
  • पीतांबर: हल्दी की इस वैराइटी को (CIMAP) ने डेवलप किया है। यह बाकी हल्दी की तुलना में पहले तैयार हो जाती है। यानी 5-6 महीने का वक्त लगता है। एक एकड़ में 270 क्विंटल तक उपज होती है।
  • सुदर्शन: हल्दी की ये वैराइटी आकार में छोटी होती है, लेकिन दिखने में खूबसूरत होती है। 230 दिन में फसल पक कर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ 110 से 115 क्विंटल की पैदावार होती है।
  • सोरमा: इसका रंग सबसे अलग होता है। हल्के नारंगी रंग वाली हल्दी की ये फसल 210 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ प्रोडक्शन 80 से 90 क्विंटल होता है।

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