हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

देश में सवा लाख मीट्रिक टन हुआ शहद उत्पादन

 

रंग ला रही किसानों की कोशिश

 

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि भारत ने 60 हजार मीट्रिक टन शहद का किया एक्सपोर्ट, शहद उत्पादक किसानों के भी बनाए जा रहे हैं एफपीओ.

 

मधुमक्खी पालकों व सरकार के सामूहिक प्रयासों से वर्ष 2020-21 में देश ने ऊंचाई छलांग लगाई है.

शहद उत्पादन सवा लाख मीट्रिक टन हो गया है. जबकि यह 2013-14 में सिर्फ 76,150 मीट्रिक टन था.

मधुमक्खी पालन को किसानों की आय वृद्धि के लिए एक सहायक क्षेत्र बताते हुए मंत्री ने कहा कि मीठी क्रांति लाने के लिए हनी मिशन शुरू किया गया है.

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत केंद्र सरकार ने इसमें 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

 

तोमर बृहस्पतिवार को नागालैंड स्थित केंद्रीय बागवानी संस्थान में आयोजित मधुमक्खी पालकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

सम्मेलन में वर्चुअल तरीके से जुड़े मंत्री ने राज्य सरकारों से अपेक्षा व्यक्त की कि वे सारी सुविधाओं का लाभ उठाते हुए मधुमक्खी पालक किसानों को उनके उत्पाद के अच्छे दाम दिलाएं.

किसानों को उनके उत्पादों का अधिक से अधिक दाम मिले.

 

एक्सपोर्ट में भी वृद्धि

कृषि मंत्री ने बताया कि शहद एक्सपोर्ट में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. साल 2020-21 में 60 हजार मीट्रिक टन शहद का निर्यात हुआ है.

जबकि यह वर्ष 2013-14 में करीब 28 हजार मीट्रिक ही था.

उन्होंने कहा कि 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाने की योजना के तहत शहद उत्पादक किसानों के एफपीओ भी बनाए जा रहे हैं.

शहद की ठीक से जांच हो, इसलिए देश में कई जगहों पर लैब बनाई गई है, साथ ही प्रोसेसिंग सुविधाएं भी बढ़ाई जा रही हैं.

 

मसालों की खेती के लिए आदर्श है पूर्वोत्तर

तोमर ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की जलवायु कृषि के अनुकूल है. बागवानी फसलों विशेषकर फल-सब्जियों, फूलों और मसालों की खेती के लिए यह क्षेत्र आदर्श है.

बागवानी में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लघु व सीमांत किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बागवानी संस्थान, नागालैंड की स्थापना की गई थी.

यह संस्थान बागवानी के विकास और किसानों के उत्थान के लिए राज्य सरकार, एफपीओ और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर अच्छा काम कर रहा है.

 

छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर

कृषि मंत्री ने कहा कि छोटे और मझौले किसानों की परेशानियां दूर करने, उन्हें बैंकों के माध्यम से सरलता से ऋण उपलब्ध कराने, उनके लिए खेती में मुनाफा बढ़ाने पर प्रधानमंत्री का पूरा जोर है.

इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से हर साल छह-छह हजार रुपये किसानों को आय सहायता के रूप में दिए जा रहे हैं.

सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि छोटे किसानों की आमदनी बढ़े व उनकी प्रगति हो.

 

किसानों को दिए गए मिनी किट

कार्यक्रम में किसानों के उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई. खेती में नए प्रयोगों के लिए किसानों को मिनी किट प्रदान किए गए.

प्रशिक्षणार्थी किसानों द्वारा बनाए उत्पाद लांच किए गए. वार्षिक रिपोर्ट-टेक्निकल बुलेटिन का विमोचन किया गया.

इस मौके पर केंद्रीय बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. एनके पाटले, कृषि एवं बागवानी आयुक्त डॉ. एसके मल्होत्रा, पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. केवी प्रभु एवं सैकड़ों मधुमक्खी पालक मौजूद रहे.

source

 

यह भी पढ़े : गेहूं की इन 5 उन्नत किस्मों की करिए खेती

 

यह भी पढ़े : गेहूं और सरसों की अच्छी पैदावार के लिए वैज्ञानिक सलाह

 

यह भी पढ़े : किसानो को सलाह, प्रति हैक्टेयर 100 किलोग्राम गेहूं का उपयोग बुआई में करें

 

शेयर करे