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राष्ट्रीय कृषि बाजार से जुड़ेंगी 1000 और मंडियां

 

किसानों की आय में होगी वृद्धि

 

e-Nam: घर बैठे मंडियों में बेच सकते हैं अपना सामान, इस प्लेटफार्म से जुड़े 1.73 करोड़ किसान, व्यापारी और एफपीओ, बिचौलियों और आढ़तियों पर खत्म होगी किसानों की निर्भरता.

 

किसानों की इनकम डबल करने के मकसद से मोदी सरकार राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-Nam) से देश की 1000 और मंडियों को जोड़ने की तैयारी में जुट गई है. इस बात की जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दी है. इसके बाद ई-नाम पोर्टल पर मंडियों की कुल संख्या 2000 हो जाएगी.

देशभर में करीब 2,700 कृषि उपज मंडियां और 4,000 उप-बाजार हैं. फिलहाल, ऑनलाइन मंडी यानी ई-नाम प्लेटफार्म पर रजिस्टर्ड 1.73 करोड़ किसान, व्यापारी और एफपीओ (FPO) जुड़े हुए हैं.

ये लोग अभी घर बैठे देश की एक हजार मंडियों में ट्रेडिंग कर रहे हैं.

 

कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, ई-नाम एक इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल है.

यह देश भर में मौजूद एग्रीकल्चरल प्रोड्यूज मार्केट कमेटी (APMC) यानी मंडियों को एक नेटवर्क में जोड़ने का काम करता है.

इसका उद्देय कृषि उत्पादों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार मुहैया करवाना है. इसकी शुरुआत 14 अप्रैल, 2016 को की गई थी.

इसके तहत रजिस्टर्ड होकर किसान अपनी उपज अच्छी कीमत पर इससे जुड़ी किसी भी मंडी में बेच सकता है.

 

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इस तरह किसानों के लिए फायदेमंद है यह प्लेटफार्म

इस प्लेटफार्म पर मौजूद मंडियों को इंटरनेट (Internet) के जरिए जोड़ा गया है. इसका मकसद यह है कि पूरा देश एक मंडी क्षेत्र बने.

यह वन नेशन-वन मार्केट के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक कदम है. जैसे अगर हरियाणा के रोहतक का कोई किसान अपना उत्पाद दिल्ली की मंडी में बेचना चाहता है तो उसे कृषि उपज को लाना-ले जाना और मार्केटिंग करना आसान हो गया है.

 

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक इसका लाभ न सिर्फ किसानों बल्कि कस्टमर को भी मिलेगा.

दावा है कि किसानों और व्यापारियों के बीच के इस कारोबार में स्‍थानीय कृषि उपज मंडी के हित को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.

क्‍योंकि पूरा व्‍यापार उसी के जरिए होगा. हालांकि इस माध्यम में किसानों को बिचौलियों और आढ़तियों पर निर्भर नहीं होना होगा.

 

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तो फिर इसकी सार्थकता क्या है…?

हालांकि, कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा कहते हैं कि कृषि क्षेत्र में सुधार के नाम पर बनाए गए इस प्लेटफार्म पर किसानों को कई फसलों की एमएसपी से कम कीमत मिल रही है.

इसलिए ऐसे सुधार का किसानों को क्या फायदा? जब तक सरकार एमएसपी को ई-नाम का न्यूनतम प्राइस नहीं बनाएगी तब तक इसका लाभ किसानों को नहीं मिलेगा. एमएसपी से नीचे खरीद न हो तभी इसकी सार्थकता है.

 

ई-नाम में किसकी कितनी भागीदारी

  • 21 राज्यों के किसान और मंडियां शामिल.
  • रजिस्टर्ड हैं 1,70,66,724 किसान.
  • 1,69,548 व्यापारी.
  • 92,079 कमीशन एजेंट.
  • 1,856 फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन.

 

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