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जीरो फीसदी ब्याज पर किसानों को दिए 14 हजार 428 करोड़ रुपए के लोन

 

मध्य प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में की धन की वर्षा

 

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में कृषि और किसानों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में किसानों के लिए सौगात दी है.

राज्य सरकार की तरफ से किसानों के लिए जीरो फीसदी ब्याज दर पर 14 हजार 428 करोड़ रुपए के लोन दिया है.

 

मध्य प्रदेश में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण दिया जा रहा है.

वर्ष 2003-04 में कृषकों को खेती के लिए मात्र 1273 करोड़ का फसल ऋण मिला था.

इस वर्ष किसानों को रुपये 14 हजार 428 करोड़ के ऋण उपलब्ध कराये जा चुके है.

पिछले दो वर्ष में किसानों को 26 हजार करोड़ के ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर दिये गये हैं.

सरकार किसानों के विकास को प्राथमिकता में लेकर कार्य कर रही है. प्रदेश को कृषि उत्पादन तथा योजना संचालन क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए सात कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुए हैं.

किसानों की मेहनत का ही परिणाम है कि प्रदेश आज दलहन-तिलहन के क्षेत्र और उत्पादन में देश में प्रथम है.

 

सोयाबीन, उड़द के उत्पादन में मध्य प्रदेश, देश में पहला स्थान रखता है.

जबकि गेहूं, मसूर, मक्का एवं तिल फसल के क्षेत्र एवं उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है. सम्पूर्ण खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में प्रदेश का देश में तीसरा स्थान है.

किसानो की मेहनत को देखते हुए मध्यप्रदेश ने देश में सबसे पहले कृषि को लाभदायी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाये थे.

इसके हत मुख्य तौर पर पांच विषयों पर कार्य करना था, जिसमें  कृषि लागत में कमी, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, कृषि विविधीकरण, उत्पाद का बेहतर मूल्य और कृषि क्षेत्र में आपदा प्रबंधन पर संकल्पित होकर कार्य किया गया.

वर्ष 2004-05 में प्रदेश का कुल कृषि उत्पादन मात्र 2 करोड़ 38 लाख मी.टन था जो वर्ष 2020-2021 में बढ़कर 6 करोड़ 69 मी. टन हो गया है.

 

जैविक और प्राकृतिक खेती

प्रदेश में जैविक खेती का कुल क्षेत्र लगभग 16 लाख 37 हजार हेक्टेयर है जो देश में सर्वाधिक है.

जैविक उत्पाद का उत्पादन 14 लाख 2 हजार मी.टन रहा, जो क्षेत्रफल की तरह ही देश में सर्वाधिक है.

जैविक खेती को प्रोत्साहन स्वरूप प्रदेश में कुल 17 लाख 31 हजार क्षेत्र हेक्टेयर जैविक प्रमाणिक है, जिसमें से 16 लाख 38 हजार एपीडा से और 93 हजार हेक्टेयर क्षेत्र, पी.जी.एस. से पंजीकृत है.

प्रदेश ने पिछले वित्त वर्ष में 2683 करोड़ रूपये के मूल्य के 5 लाख मी.टन से अधिक के जैविक उत्पाद निर्यात किये हैं.

प्रदेश में जैविक वनोपज भी ली जा रही है. इस वर्ष प्रदेश में 99 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य है.

प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में जैविक/ प्राकृतिक खेती को शामिल करने की योजना है.

दोनों कृषि विश्वविद्यालय में कम से कम 25 हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती प्रदर्शन श्रेत्र में बदला जायेगा.

 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

वर्ष 2016 से प्रारम्भ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए प्रदेश के वार्षिक बजट में 2200 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान है.

प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुल वर्षवार 4 करोड़ 43 लाख 61 हजार 570 किसान खरीफ 2016 से रबी 2021-22 तक (पांच वर्षों में) पंजीकृत हुए.

वर्तमान समय तक 73 लाख 69 हजार 614 किसानों को रबी 2019-20 तक की राशि 16 हजार 750 करोड़ 87 लाख रूपये का दावा राशि का वितरण किया गया है.

यह प्रीमियम से दावा राशि का 93.41 प्रतिशत है. फसल बीमा का एंड-टू-एंड कम्‍प्‍युटराईजेशन प्रक्रियाधीन है.

बीमा इकाई निर्धारण की प्रक्रिया भू-अभिलेख के साथ एकीकृत कर पूरी तरह ऑनलाईन है.

औसत उपज उत्पादन के आकलन में रिमोर्ट सेंसिंग तकनीक के उपयोग की परियोजना प्रारंभ की गई है.

पंजीयन की प्रक्रिया को आधार कार्ड से लिंक किया है, जिससे एक रकबे का एक ही बार बीमा हो सकेगा और दोहरीकरण की स्थिति निर्मित नहीं होगी.

 

प्रदेश देश में बीज प्रमाणीकरण में अग्रणी

प्रदेश देश में बीज प्रमाणीकरण में अग्रणी है. बीज की गुणवत्ता के लिये क्यू.आर. कोड के प्रयोग का नवाचार किया गया है.

किसानों की भागीदारी से संकर बीजों का उत्पादन कर प्रदेश को हाइब्रीड बीज उत्पादन का हब बनाया जा रहा है.

प्रत्येक संभाग में एक के मान से दस उर्वरक और बीज परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है.

उन्नत बीजों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए रोलिंग प्लान को अद्यतन किया गया है. तीन हजार नये बीज ग्राम विकसित किये जा रहे हैं.

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