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इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ 3 दोस्तों ने शुरू किया बकरी पालन

 

अब हो रही लाखों रुपये की कमाई

 

बकरी पालन से लाखों की आमदनी

 

एक तरफ जहाँ देश में लाखों युवा नौकरी के लिए परेशान हो रहे हैं वहीँ कुछ युवा ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी राह खुद ही बना ली है|

जहाँ किसान खेती की घटती लागत को लेकर परेशान हैं वहीँ कई किसान ऐसे भी है जो खेती में नए तरीकों को अपनाकर मुनाफा कमा रहे हैं|

ऐसा ही कुछ कर दिखाया है मध्यप्रदेश राज्य के भोपाल शहर के तीन युवाओं ने | हेमंत माथुर, प्रवीन गुप्ता, सुनील वर्मा पेशे से इंजीनियर हैं|

वर्ष 2012 से पहले देश की बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते थे|

लाखों रूपये के सालाना पैकेज होने के बाबजूद भी कुछ अलग करने की चाहत में नौकरी छोड़ बकरी पालन के क्षेत्र में आकर अपना बिजनेस शुरू किया|

 

तीनों दोस्त न केवल “गोकुल एग्रोनोमिक्स” कंपनी बनाकर न सिर्फ खुद बकरी पालन कर रहे हैं बल्कि ट्रेनिंग देकर किसानों तथा पशुपालकों से बकरी पालन करा भी रहे हैं|

सबसे बड़ी बात यह है कि अन्य बकरी पालकों को जो गोकुल कंपनी से जुड़कर बकरी पालन कर हे रहे हैं उन सभी को बकरी बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध करवा रहे हैं|

2 लाख रूपये की लागत से शुरू किया था बकरी पालन

आज किसान के सामने सबसे बड़ा सवाल यही रहता है की वह कितनी लागत से बकरी पालन शुरू कर सकते हैं|

ऐसे किसानों के लिए इन तीन दोस्तों ने किस तरह बकरी पालन का व्यवसाय शुरू किया यह जानना जरुरी है|

 

हेमंत माथुर, प्रवीण गुप्ता और सुनील वर्मा ने बकरी पालने के लिए पहले एक छोटी सी जगह में 1 लाख रूपये की लागत से बकरी के लिए शेड (आवास) का निर्माण किया|

इसके बाद 1 लाख रूपये की लागत से कुछ बकरियों को खरीद कर बकरी पालन का कार्य शुरू किया|

यह बकरी फार्म अब लगभग 1 एकड़ क्षेत्र में फ़ैल चूका है|

 

प्रतिदिन कितनी लागत आती है ?

पशुपालन व्यवसाय में आवश्यक है कि पशुओं को संतुलित आहार दिया जाये जिससे बकरी को कोई रोग न हो और वह पूरी तरह स्वस्थ रहें ताकि उनके भार में वृद्धि के सामने कोई बाधा न आये तीनों दोस्तों का कहना है की उन्हें प्रति बकरी के आहार पर प्रति दिन 20 रुपये का खर्च आता है|

इसमें दाना मिश्रण, हरा चारा, सुखा भूसा आदि सम्मलित है|

 

बकरियों की इन नस्लों का कर रहे हैं पालन

अच्छी आमदनी के लिए आवश्यक है की बकरे की सही नस्लों का पालन किया जाए ताकि प्रति बकरी/बकरा सही आमदनी प्राप्त हो सके|

तीनों दोस्तों ने बताया की अभी उनके फार्म में अभी 4 प्रकार की नस्लों का पालन किया जा रहा है: बीटल,सिरोही, बारबरी और सोजट|

 

बकरी पालन से होने वाली आमदनी

तीनों दोस्तों का कहना है कि वह प्रतिवर्ष लगभग 1200 बकरे बेचते हैं जो की 400 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बिकता है|

इसके अतिरिक्त फार्म पर इच्छुक व्यक्तियों को बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है|

 

बकरी पालन शुरू करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है

तीनों दोस्तों के द्वारा स्थापित बकरी फार्म पर इच्छुक व्यक्तियों को समय-समय पर बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है|

तीनो दोस्तों के मुताबिक अभी तक 1 हजार से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जा चूका है जो सफल रूप से बकरी पालन फार्म शुरू कर चुके हैं|

 

 

प्रशिक्षण के बाद पशुपालकों को बकरी का बच्चा या बकरी गोकुल बकरी पालन के तरफ से उपलब्ध कराई जाती है|

इसके अलावा पशुपालक चाहे तो बकरी अपने स्तर पर बेच सकते हैं या फिर गोकुल बकरी पालक को ही देकर नगद पैसा प्राप्त कर सकते हैं|

गोकुल बकरी पालन किसानों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर बकरी पालन कर रहा है, जिससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार मिल रहा है तथा आमदनी का अच्छा स्रोत उत्पन्न किया है|

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