21 लाख किसानों से MSP पर हुई गेहूं की खरीद

इन राज्यों में सबसे ज्यादा खरीदा गया गेहूं

रबी विपणन वर्ष RMS सीजन 2025-26 के दौरान 30 अप्रैल तक सरकार ने 256.31 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर की है।

इसमें सबसे अधिक गेहूँ की खरीद पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से की गई है।

देश में इस समय न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी की MSP पर गेहूं खरीदी का काम चल रहा है। इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं खरीद में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है।

इस वर्ष केंद्र सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य पर 312 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है जिसमें 30 अप्रैल तक 256.31 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है।

पिछले वर्ष 30 अप्रैल तक जहाँ 205.41 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था वहीं इस वर्ष 30 अप्रैल तक 256.31 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है जो पिछले वर्ष से 24.78 प्रतिशत अधिक है।

सबसे अधिक गेहूँ की खरीद पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों से की गई है।

इसमें सबसे अधिक गेहूं की खरीद पंजाब में की गई है। यहाँ किसानों से 103.89 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है।

इसके बाद मध्य प्रदेश से 67.57 लाख मीट्रिक टन, हरियाणा से 65.67 लाख मीट्रिक टन, राजस्थान से 11.44 लाख मीट्रिक टन एवं उत्तर प्रदेश से 7.55 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है।

 

21 लाख किसानों से खरीदा गया MSP पर गेहूं

उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार आरएमएस सीजन 2025-26 के दौरान अभी तक 21.03 लाख किसानों से गेहूं खरीदा गया है, जिसके बदले किसानों को 62155.96 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

आरएमएस 2025-26 में खरीद अवधि अभी भी शेष है इसलिए इस साल सरकार गेहूं खरीद के लक्ष्य को पूरा कर सकती है।

विभाग के अनुसार किसानों को MSP का भुगतान 24 से 48 घंटों के भीतर किया जा रहा है।

सरकार के मुताबिक इस वर्ष गेहूं की खरीद में हुई बढ़ोतरी खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के ठोस प्रयासों का परिणाम है, जिनकी शुरुआत पिछले वर्षों से प्राप्त सीखों के आधार पर राज्य-विशिष्ट कार्य योजनाएं तैयार करने और राज्यों के साथ पहले से ही साझा करने से हुई।

  • इन प्रयासों के अंतर्गत किसानों को जागरूक करना; 
  • किसानों का पंजीकरण; खरीद केंद्रों की तैयारी; 
  • किसानों को MSP का समय पर भुगतान आदि पर नियमित आधार पर समीक्षा बैठकों के माध्यम से संबंधित राज्यों के साथ अनुवर्ती कार्रवाई की गई, ताकि किसी भी संभावित समस्या का समय पर समाधान किया जा सके।

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