कृषि विभाग ने की अपील
कृषि विभाग ने किसानों से इस बार फसलों में आवश्यक रूप से नैनो डीएपी का उपयोग करने की अपील की है।
नैनो डीएपी से बीज उपचार करने एवं फसलों पर छिड़काव करने से बीज अंकुरण के बाद पौधों को पोषक प्राप्त हो जाते हैं साथ ही पौधों की तेजी से वृद्धि होती है और जड़ों की संख्या बढ़ती है। इसके अलावा पौधों की रोग प्रतोरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही उन्हें विभिन्न कीट-रोगों से बचाने के लिए किसानों को बुआई से पहले बीजों का उपचार आवश्यक रूप से करना चाहिए।
इस कड़ी में कृषि विभाग, सीहोर द्वारा किसानों से इस बार अपनी फसलों में नैनो डीएपी तरल का प्रयोग आवश्यक रूप से करने की अपील की गई है।
कृषि विभाग के मुताबिक नैनो डीएपी एक तरल उर्वरक है जिसमें 8 प्रतिशत नाइट्रोजन और 16 प्रतिशत फास्फोरस होता है।
अन्य उर्वरकों के मुकाबले नैनो डीएपी के कण आकार में छोटे होते हैं। इनका आकार 100 नैनोमीटर से कम होता है।
इसकी अनूठी क्रिया इसे बीज की सतह के अंदर या स्टोमेटा और अन्य पौधों के उभार के माध्यम से आसानी से प्रवेश करने में सक्षम बनाती है।
कृषि विभाग के उप-संचालक ने बताया कि नैनो डीएपी से बीज उपचार करने एवं फसलों पर छिड़काव करने से विभिन्न लाभ प्राप्त होता है।
नैनो डीएपी के उपयोग से बीज अंकुरण के तुरंत बाद पौधे को पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जो परंपरागत डीएपी से समय पर नहीं मिल पाती।
नैनो डीएपी के उपयोग से पौधे को तुरंत पोषक तत्व मिलते है। जिससे जड़ और पौधे की वृद्धि तेजी से होती हैं। पौधे में जड़ों की संख्या बढ़ती है।
नमी की कमी होने पर पौधे की सूखा सहन करने की क्षमता बढ़ती है और पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
नैनो डीएपी का उपयोग किसान कैसे करें?
उप-संचालक ने बताया कि नैनो डीएपी को फसल उत्पादन के लिए 3 प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता हैं।
इसका उपयोग बीजोपचार, जड़ या कंद का उपचार और पत्तों पर छिड़काव करने में किया जाता है।
बीजों के उपचार के लिए 3-5 मिली. नैनो डीएपी को प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से पानी में घोलकर 20-30 मिनट के लिये बीज को भिगोया जाता है, फिर छाया में सुखाकर बुवाई की जाती है। इससे बीज की अंकुरण क्षमता और फसल की उपज में सुधार होता हैं।
वहीं जड़ या कंद का उपचार करने के लिए किसान नैनो डीएपी का 3-5 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से उपयोग करें।
इसके अलावा पत्तों पर छिड़काव किसान फसल में दो बार कर सकते हैं।
पहला छिड़काव पत्ते आने की अवस्था में (जुताई के समय शाखाएं आने पर) 2-4 मिली प्रति लीटर पानी में और दूसरा छिड़काव फूल आने से पहले की अवस्था में करना चाहिए।
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