किसान अधिक पैदावार के लिए लगायें सोयाबीन की यह उन्नत किस्में

सोयाबीन की बुआई का समय नजदीक आ गया है। देश के अधिकांश क्षेत्रों में सोयाबीन की बुआई का काम 15 जून के बाद शुरू हो जाएगा। ऐसे में किसान इस वर्ष सोयाबीन की नई उन्नत किस्मों (अधिक पैदावार) का चयन कर इसका उत्पादन और उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।

कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों और जलवायु क्षेत्रों के अनुसार सोयाबीन की अलग-अलग किस्में विकसित की गई हैं जो रोग रोधी होने के साथ ही अधिक उत्पादन भी देती है।

ऐसे में किसान अपने क्षेत्र के अनुसार किस्मों का चयन कर उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

 

मिलेगी भरपूर पैदावार

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो किसानों को अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल विभिन्न समय अवधि में पकने वाली कम से कम 2 से 3 नोटीफाइड किस्मों का चयन करना चाहिए।

इसके अलावा किसानों को बीजों का अंकुरण परीक्षण, बीजों का उपचार आदि करने के बाद ही सोयाबीन की बुआई करनी चाहिए।

इसके अलावा किसान मानसून आने के बाद जब 10 सेमी वर्षा हो जाये तब ही सोयाबीन की बुआई करें।

 

मध्य क्षेत्र के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में

मध्य क्षेत्र के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में देश के मध्य क्षेत्र जिसमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड भाग, राजस्थान, गुजरात, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र शामिल है।

इन क्षेत्रों में किसान NRC 165, JS 22-12, JS 22-16, NRC 150, NRC 152, JS 21-72, RVSM 2011-35, NRC 138, AMS 100-39, RVS 76, NRC 142, NRC 130, MACS 1520, RSC 10-46, RSC 10-52, AMS–MB 5-18, AMS 1001, JS 20-116, JS 20-94, JS 20-98, NRC 127 आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।

इसमें मध्य प्रदेश के किसान NRC 157, NRC 131, NRC 136 और महाराष्ट्र के किसान MAUS 725 और फुले दूर्वा (KDS 992) किस्मों का चयन भी कर सकते हैं।

 

पूर्वी एवं उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में

वहीं देश के पूर्वी क्षेत्र जिसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र जिसमें असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड और सिक्किम राज्य शामिल है।

इन क्षेत्रों के किसान RSC 11-35, RSC 10-71, RSC 10-52, MACS 1407, MACS 1460, NRC 132, NRC 147, NRC 128, NRC 136, NRCSL-1, RSC 11-07, RSC 11-46, AMS 2014-1 (Purva), DSB 32, JS 20-116, KDS 753 (Phule Sangam), Kota Soya 1, Chattisgarh Soya 1 आदि क़िस्मों का चयन कर सकते हैं।

इसके अलावा छत्तीसगढ़ के किसान छत्तीसगढ़ सोया, झारखंड में बिरसा सोया-3, बिरसा सोया-4, मेघालय के किसान उमियम सोयाबीन-1 हिमाचल प्रदेश में हिम पालम हरा सोया-1 शालीमार सोयाबीन-2 आदि क़िस्मों का चयन भी कर सकते हैं।

 

उत्तरी मैदानी क्षेत्र के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में

देश के उत्तरी मैदानी क्षेत्र जिनमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के पूर्वी मैदान, मैदानी उत्तराखण्ड और पूर्वी बिहार शामिल है।

इन क्षेत्रों में किसान PS 1640, SL-1074, NRC 128, SL-979, SL 955, Pant Soya 26, PS 1477, SL 958, Pusa 12 आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।

इसके अलावा किसान राज्य विशेष किस्में जैसे उत्तराखण्ड के लिए उत्तराखंड काला सोयाबीन, पीएस 1521, पंत सोयाबीन-23m पंत सोयाबीन-21, पीएस 1368 आदि क्जिस्मों का चयन कर सकते हैं।

वहीं उत्तर पहाड़ी क्षेत्र के किसान जिसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र शामिल है।

इन क्षेत्रों के किसान VL Soya 99, Pant Soybean-25, VL Soya 89 आदि क़िस्मों का चयन कर सकते हैं इसमें राज्य द्वारा अनुशंसित किस्में हिमाचल प्रदेश के लिए हिम पालम सोया-1, उत्तराखण्ड के लिए वी.एल. भट्ट 201, वी.एल. सोया-77 किस्में शामिल है।

 

दक्षिणी राज्यों के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में

देश के दक्षिणी राज्यों जिसमें कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र का दक्षिणी भाग शामिल है।

इसमें किसान MACS–NRC 1667, Karune, NRC 142, MACS 1460, AMS 2014-1, RSC 11-07, NRC 132, NRC 147, DSB 34, KDS 753 (Phule Kimaya), KDS 726 (Phule Sangam), DSB 23, MAUS 612, MACS 1281, KDS 344, MAUS 162, MACS 1188 आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।

वहीं राज्य विशेष किस्में ALSB-50, बसार, कर्नाटक के लिये KBS 23 और दक्षिणी महाराष्ट्र के लिए MAUS 725, फूले दूर्वा (KDS 992), AMS-1001 आदि किस्में शामिल हैं। किसान इन किस्मों में से किसी भी किस्म का चयन कर सकते हैं।

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