खाद्य सुरक्षा के लिए दलहन उत्पादन बढ़ोतरी जरूरी

दालों का सबसे बड़ा उत्पादक

भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक है। कुल खेती में दलहन क्षेत्र का हिस्सा 23 प्रतिशत है लेकिन देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन में इसका योगदान केवल 10 प्रतिशत है।

हरित क्रांति प्रौद्योगिकियों और सरकार की खरीद नीतियों को अपनाने से खाद्यान्न  पर घनात्मक  असर हुआ लेकिन दालें किसानों की प्राथमिकता  से दूर हो गईं।

अब सही नीतिगत हस्तक्षेप के साथ दलहन उत्पादन  पर ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है”- भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि सचिव श्री मनोज अहूजा ने “खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि इनपुट उद्योग की तैयारी” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कॉन्क्लेव में मुख्य अतिथि  के रूप में दलहन उत्पादन की आवश्यकता को केंद्र में रखते हुए अपने विचार रखे  ।

 

राष्ट्रीय कॉन्क्लेव का आयोजन

2047 तक खाद्य सुरक्षा पर राष्ट्रीय कॉन्क्लेव का आयोजन  ” पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा नई दिल्ली में किया  गया l

इस अवसर पर श्री आहूजा ने केऐकेवी फाउंडेशन (किसान –विज्ञान फाउंडेशन) द्वारा  तैयार किये गए दो श्वेत पत्र भी जारी किये l ये अध्ययन 1. क्या भारत वर्ष 2047 तक खाद्य सुरक्षा प्राप्त कर लेगा  एवं 2. क्या भारत दलहन में आत्म निर्भर होगा – पर केन्द्रित थे .

चित्र में (बाएँ से दायें) सुश्री मिली दुबे , डायरेक्टर एग्रीबिजिनेस कमेटी , पीएचडीसीसीआई, डॉ. रणजीत मेहता , एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीएचडीसीसीआई, डॉ.मनिंदर कौर द्विवेदी , अपर सचिव, कृषि मंत्रालय ,

श्री मनोज अहूजा कृषि सचिव भारत सरकार , श्री एन के अग्रवाल, चेयरमैन एग्रीबिजिनेस कमेटी , पीएचडीसीसीआई,; श्री मिन्हाज आलम अपर सचिव खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय भारत सरकार ,

श्री विजय सरदाना चेयरमैन किसान –विज्ञान फाउंडेशन एवं डॉ के सी रवि चेयरमैन क्रॉप लाइफ इंडिया l इस आयोजन का मीडिया पार्टनर राष्ट्रीय कृषि अखबार कृषक जगत रहा l

 

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