देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है। इस कड़ी में केंद्र सरकार द्वारा देशभर में “राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन” योजना की शुरुआत की गई है।
25 नवम्बर 2024 के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) शुरू करने को मंजूरी दे दी है।
इस योजना के तहत सरकार कुल 2481 क़रीद रुपये खर्च करेगी। इसमें केंद्र सरकार द्वारा 1584 करोड़ एवं राज्य सरकारों द्वारा 897 करोड़ रुपये खर्च किए जाएँगे।
2481 करोड़ रुपये किए जाएँगे खर्च
सरकार के मुताबिक योजना के तहत अपने पूर्वजों से विरासत में मिले पारंपरिक ज्ञान पर आधारित, किसान रसायन मुक्त खेती के रूप में प्राकृतिक खेती की आदत डालेंगे।
जिसमें स्थानीय पशुधन एकीकृत प्राकृतिक खेती के तरीके, विविध फसल प्रणाली आदि शामिल हैं।
प्राकृतिक खेती स्थानीय ज्ञान, स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकियों पर आधारित स्थानीय कृषि-पारिस्थितिकी सिद्धांतों का पालन करती है और स्थानीय कृषि-पारिस्थितिकी के अनुसार विकसित होती है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का उद्देश्य
योजना का उद्देश्य सभी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्राकृतिक खेती की कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देना है।
मिशन का उद्देश्य किसानों को खेती में आने वाली लागत को कम करना और बाहर से खरीदे गए संसाधनों पर निर्भरता को कम करने में सहायता करना है।
प्राकृतिक खेती स्वस्थ मृदा इकोसिस्टम का निर्माण और रखरखाव करेगी, जैव विविधता को बढ़ावा देगी और प्राकृतिक खेती के अनुसार लाभकारी स्थानीय स्थायी खेती के लिए उपयुक्त लचीलापन बढ़ाने के लिए विविध फसल प्रणालियों को प्रोत्साहित करेगी।
साथ ही प्राकृतिक खेती मिशन को वैज्ञानिक रूप से पुनर्जीवित करने और किसान परिवारों और उपभोक्ताओं के लिए स्थिरता, जलवायु लचीलापन और स्वस्थ भोजन की दिशा में कृषि कार्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए एक बदलाव के रूप में शुरू किया गया है।
यह भी पढ़ें : किसानो को खाद की नहीं होगी कोई किल्लत, सरकार बना रही योजना
1 करोड़ किसानों को जोड़ा जाएगा प्राकृतिक खेती से
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत अगले 2 वर्षों में इच्छुक ग्राम पंचायतों के 15,000 समूहों में लागू किया जाएगा तथा 1 करोड़ किसानों तक पहुंचाया जाएगा और 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती (NF) शुरू की जाएगी।
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों, एसआरएलएम/पीएसीएस/एफपीओ आदि के प्रचलन वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके अलावा, किसानों के लिए उपयोग के लिए तैयार एनएफ लागत की आसान उपलब्धता और पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यकता-आधारित 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र (BRC) स्थापित किए जाएंगे।
किसानों को किया जाएगा प्रशिक्षित
प्राकृतिक खेती मिशन के तहत कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विश्वविद्यालयों और किसानों के खेतों में लगभग 2000 प्राकृतिक खेती मॉडल प्रदर्शन फार्म स्थापित किए जाएंगे और इन्हें अनुभवी और प्रशिक्षित किसान मास्टर प्रशिक्षकों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
इच्छुक किसानों को उनके गांवों के पास केवीके, कृषि विश्वविद्यालयों और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के खेतों में प्राकृतिक खेती पैकेज ऑफ प्रैक्टिस, प्राकृतिक खेती इनपुट की तैयारी आदि पर मॉडल प्रदर्शन फार्मों में प्रशिक्षित किया जाएगा।
18.75 लाख प्रशिक्षित इच्छुक किसान अपने पशुओं का उपयोग करके या बीआरसी से खरीद कर जीवामृत, बीजामृत आदि जैसे कृषि संबंधी संसाधन तैयार करेंगे।
जागरूकता पैदा करने, एकजुट करने और समूहों में इच्छुक किसानों की मदद करने के लिए 30,000 कृषि सखियों/सीआरपी को तैनात किया जाएगा।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से क्या लाभ होगा?
सरकार के मुताबिक़ प्राकृतिक खेती के तरीकों से किसानों को खेती की लागत कम करने और बाहर से खरीदे गए संसाधनों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।
साथ ही मिट्टी की सेहत, उर्वरता और गुणवत्ता को फिर से जीवंत करने और जलभराव, बाढ़, सूखे आदि जैसे जलवायु जोखिमों से संभलने का सामर्थ्य पैदा करने में मदद मिलेगी।
ये तरीके उर्वरकों, कीटनाशकों आदि के संपर्क में आने से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को भी कम करते हैं और किसानों के परिवार को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, प्राकृतिक खेती के माध्यम से, आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ धरती माता विरासत में मिलती है।
मिट्टी में कार्बन की मात्रा और जल उपयोग दक्षता में सुधार के माध्यम से, मिट्टी के सूक्ष्मजीवों और प्राकृतिक खेती में जैव विविधता में वृद्धि होती है।
वहीं योजना के तहत किसानों को एक आसान सरल प्रमाणन प्रणाली और समर्पित सामान्य ब्रांडिंग प्रदान की जाएगी ताकि उन्हें अपने प्राकृतिक कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंच प्रदान की जा सके।
एनएमएनएफ कार्यान्वयन की वास्तविक समय की जियो-टैग और संदर्भित निगरानी एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाएगी।
यह भी पढ़ें : MP सरकार ने शुरु किया राजस्व महाअभियान, किसानो के होंगे यह काम