कृषि विभाग के अधिकारियों ने दी सलाह
कृषि विभाग के अधिकारियों ने धान की पहली टॉप ड्रेसिंग में डीएपी, यूरिया, जिंक सल्फेट, अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम सल्फेट, फेरस सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट आदि उर्वरकों को मिलाकर डालने की प्रक्रिया को गलत बताया।
अधिकांश क्षेत्रों में धान की बुआई और रोपाई का काम पूरा हो गया है। ऐसे में किसान धान की अधिकतम पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए किसानों द्वारा धान की फसल में कई तरह के खाद-उर्वरकों का छिड़काव किया जाता है।
जिसके देखते हुए कृषि विभाग, जबलपुर के अधिकारियों द्वारा 31 जुलाई के दिन पाटन विकासखण्ड के गांव उड़ना सड़क पहुँचकर धान की पहली टॉप ड्रेसिंग में किन उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिये इसकी जानकारी किसानों को दी गई।
इस अवसर पर अनुविभागीय कृषि अधिकारी डॉ. इंदिरा त्रिपाठी एवं सहायक संचालक कृषि, रवि आम्रवंशी के फील्ड विजिट के दौरान ग्राम उड़ना सड़क में धान के खेतों का भ्रमण किया।
इस दौरान किसान ओंकार पटेल, निमित्य पटेल एवं महेंद्र पटेल को खाद मिक्स करके धान के खेत में छिड़कते देखकर उनसे चर्चा की।
इन अधिकारियों ने किसानों को बताया कि जहाँ रोपा लगाया जाता है, वहां खेत में कीचड़ मचाने के समय सिंगल सुपर फास्फेट, डीएपी या एनपीके का उपयोग करना चाहिये। इससे फसलों को अधिकतम लाभ प्राप्त होगा।
किसान धान में करें इन फसलों का छिड़काव
कृषि अधिकारियों ने किसानों को धान की पहली टॉप ड्रेसिंग में डीएपी, यूरिया, जिंक सल्फेट, अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम सल्फेट, फेरस सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट आदि उर्वरकों को मिलाकर डालने की प्रक्रिया को गलत बताया।
अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार से उर्वरकों का आपस में मिश्रण करने से उर्वरकों का अधिकतम लाभ फसलों को प्राप्त नहीं होगा, बल्कि इससे नुकसान ही होता है और उत्पादन लागत भी बढ़ती है।
किसानों को बताया गया कि डीएपी के साथ कभी भी जिंक सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट, फेरस सल्फेट आदि उर्वरकों को आपस में नहीं मिलाना चाहिये।
इसी प्रकार पोटाश के साथ अमोनियम सल्फेट नहीं मिलाना चाहिये। अगर यूरिया की अकेली टॉप ड्रेसिंग की जा रही है तो यूरिया के साथ जिंक सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट, फेरस सल्फेट मिलाया जा सकता है।
इन कृषि यंत्रो को अनुदान पर लेने हेतु किसान जल्द से करें आवेदन