एक नवाचार ने बदली किस्मत मछली पालन के साथ दे रहे रोजगार

आधुनिक तकनीक से बनाई घर पर हेचरी, किसान हुआ आत्मनिर्भर

मंदसौर. एक नवाचार से किस्मत बदली और अब वे स्वयं आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ करीब 30 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। वे न केवल प्रदेश में, बल्कि अन्य राज्यों तक भी सीधा व्यापार कर रहे हैं।

घर पर ही हेचरी स्थापित कर मछली उत्पादन शुरू किया, जो अब पूरी तरह सफल हो चुका है। पहला प्रयोग सफल होने के बाद इसे व्यवस्थित रूप से स्थापित किया गया।

पिछले कई वर्षों से वे यह कार्य लगातार कर रहे हैं। यह कहानी शहर के राघवराजसिंह शक्तावत की है, जिन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ लेकर यह कार्य शुरू किया।

उन्होंने घर पर ही फार्म हाउस की स्थापना की। हेचरी में मछलियों के अंडों से स्पॉन और फ्राय निर्माण का कार्य प्रारंभकिया।

शक्तावत ने बताया कि बीएससी एग्रीकल्चर करने के बाद उन्होंने मत्स्य उत्पादन शुरू किया।

 

30 करोड़ अंडों से 2 करोड़ फ्राय का होता निर्माण

शक्तावत ने बताया कि 30 करोड़ अंडों से लगभग 2 करोड़ स्टैंड फ्राय तैयार होते हैं और इनमें से करीब 5 लाख फिंगरलिंग तैयार किए जाते हैं।

कलला, कॉमन कार्य और ग्रास कार्प के एक हजार फाय 250 रुपए में बेचे जाते हैं, जबकि रोहू और नरेव के एक हजार फाय 150 रुपए में उपलब्ध कराए जाते हैं।

फिंगरलिंग, जिनका आकार 2 से 3 इंच होता है, एक रुपए प्रति नग के हिसाब से बेचे जाते हैं।

वे मंदसौर के स्थानीय बाजार के अलावा राजस्थान के उदयपुर, चित्तौड़, पाली, भीलवाड़ा तथा प्रदेश के नीमच, रतलाम, धार, बदनावर, आलोट, आगर, इंदौर, सीहोर, भोपाल, राजगढ़, इराबुआ सहित अन्य स्थानों पर अपने उत्पाद बेचते हैं।

मत्स्य उत्पादन के लिए तैयार की गई हेचरी में वे लगातार कई प्रयोग करते रहते हैं।

 

हरियाणा- गुजरात तक व्यापार बढ़ाने की कोशिश

हरियाणा और गुजरात तक इनका कारोबार बढ़े इसके लिए कोशिश की जा रही है। उच्च गुणवत्ता और सस्ती फ्राय, फिंगर लिंग तैयार की जाएगी।

मछली पालन के क्षेत्र में किया प्रयोग शक्तावत का अब सफल होकर स्थापित हो चुका है। आय बढ़ी तो खुद आत्मनिर्भर होकर दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।

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