हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

खेती के लिए अपनाएं ये खास तरीका बढ़ जाएगी आलू की पैदावार

20% तक बढ़ जाएगी पैदावार

 

आधुनिक तकनीकों से खेती करने पर खर्च आधा और मुनाफा डबल हो जाता है.

कृषि वैज्ञानिकों ने आलू की खेती के लिए भी ऐसी ही तकनीक इजाद की है, जो आलू की 20% अधिक पैदावार देती है.

 

देश में आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. विदेशों में भी भारत के देसी आलू की अच्छी-खासी डिमांड है.

ये रबी सीजन की प्रमुख सब्जी फसल है, जिसकी पैदावार सर्द जलवायु में ही मिलती है.

ज्यादातर किसान आलू की पारंपरिक खेती ही करते हैं, जिससे कुछ खास उत्पादन नहीं मिल पाता.

कई बार बारिश और सूखा के कारण फसल बर्बाद भी हो जाती है.

कई इलाकों में मिट्टी की कमियां भी फसल की उत्पादकता को कम कर देती हैं.

 

आलू अब हवा में उगेंगे

इन सभी परेशानियों को आलू की आधुनिक खेती से दूर किया जा सकता है.

कृषि वैज्ञानिकों ने आलू की खेती के लिए ऐसी तकनीक विकसित की है कि अब मिट्टी के अंदर पैदा होने वाले आलू अब हवा में उगेंगे.

इतना ही नहीं, आलू की पैदावार भी 20% तक बढ़ जाएगी.

अब तक आलू की खेती के लिए किसानों को मेहनत और पैसा भी खर्च करना पड़ता था,

लेकिन इस तकनीक से कम खर्च में बंपर पैदावार मिलेगी, जिससे किसानों को भी फायदा होगा.

 

20% अधिक आलू का उत्पादन

हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र ने एरोपॉनिक तकनीक विकसित की है.

किसानों को भी इस तकनीक से खेती करने की आनुमति मिल गई है.

जल्द मध्य प्रदेश बागवानी विभाग के भी एरोपॉनिक विधि से आलू उगाने के लिए लाइसेंस मिल जाएगा.

एरोपोनिक खेती की सबसे खास बात ये है कि खेत ना होने पर भी किसान अपने घर की छत पर आलू उगा सकते हैं.

 

क्या है एरोपॉनिक खेती

इस वैज्ञानिक विधि से कई देशों में खेती की जा रही है.

अब भारत भी आलू का उत्पादन बढ़ाने के लिए एरोपॉनिक विधि से खेती को बढ़ावा मिल रहा है.

इस तकनीक में एक ढांचा तैयार किया जाता है, जिसमें आलू के तैयार पौधों की रोपाई जमीन पर ना करके ऊंचाई पर की जाती है, जिससे कि जड़ें हवा में लटकती रहें.

एरोपॉनिक खेती भी खुले आसमान के नीचे ही होती है, लेकिन इस विधि में खाद-मिट्टी की कोई जरूरत नहीं पड़ती.

आलू के पौधे लगाने के बाद जड़ों को पानी के जरिए पोषक तत्त्व पहुंचाए जाते हैं.

इस बीच पौदे को हवा और रौशनी मिलती रहती है.

बस सही ट्रेनिंग और पानी और पोषक तत्वों के आधार पर ही आलू की अच्छी पैदावार मिल जाती है.

 

नहीं लगतीं बीमारियां

जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के बीच एरोपॉनिक तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि मिट्टी की कमियां फसल पर हावी नहीं होतीं.

इस खेती की सही जानकारी होने पर खेतों के मुकाबले कहीं ज्यादा उत्पादन मिल जाता है.

साथ ही, पौधों में ना कीड़े लगते हैं और किसी फंगी रोग से भी नुकसान की संभावना नहीं होती है.

 

यहां कर सकते हैं खेती

एरोपॉनिक तकनीक पर कृषि वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च पूरी कर ली है, जो भी किसान इस तकनीक से आलू उगाना चाहते हैं वो हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में संपर्क कर सकते हैं.

भारत में उत्तर प्रदेश को सबसे बड़ आलू उत्पादक का खिताब प्राप्त है.

उत्तर प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में आलू की खेती की जाती है.

यह भी पढ़े : प्याज की इन टॉप 5 किस्मों की खेती से मिलेगा बंपर उत्पादन

 

यह भी पढ़े : पीएम किसान योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें ?

 

शेयर करें