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किसान भाइयों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

विशेष परामर्श

 

पिछले कुछ दिनों से बादल छाये रहने के कारण सरसों, मूली एवं सेम वर्ग की फसलों में एफिड कीट के प्रकोप की संभावना बढ़ गई है,

अत: कृषक भाइयों को सलाह है कि फसलों पर निगरानी रखें तथा अधिक प्रकोप होने की स्थिति में इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी के साथ छिडक़ाव करें।

गेहूँ

 किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पूर्व में बोई गई गेहूँ की फसल में शीर्ष जड़ अवस्था (बुवाई के 21 दिनों बाद) की प्रथम सिंचाई करें।

सिंचाई के 3-4 दिनों के बाद बची हुई नाइट्रोजन खाद की आधी मात्रा टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें।

सिंचाई के बाद शेष बची यूरिया का छिडक़ाव अवश्य करें। यूरिया का छिडक़ाव करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पत्तियों पर पानी न हो।

गेहूँ में चौड़े पत्ते वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए मेटसलफ्य़ूरान मिथाइल  ञ्च१द्दद्व प्रति पंप की दर से स्प्रे करें।

 

सरसों

अगले पाँच दिनों के दौरान मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि सरसों की पहली सिंचाई जहाँ पर की फसल 30-35 दिन की हो गई है या फूल आने के पूर्व करें तथा सिंचाई के 3-4 दिनों के बाद बची हुई नाइट्रोजन खाद की पूरी मात्रा टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें।

वर्तमान मौसम की स्थिति सरसों में माहू के संक्रमण के लिए उपयुक्त है,

इसलिए किसानों को फसल की निगरानी के लिए सलाह दी जाती है और यदि संक्रमण आर्थिक क्षति स्तर से ऊपर है तो माहू के नियंत्रण के लिए कीटनाशकों डाइमिथिएट 30 ईसी 500 मिली/हेक्टेयर या मिथाइल डेमेटॉन 25 ईसी ञ्च 500 मिली/हेक्टेयर में से किसी एक का छिडक़ाव करें।

 

चना

चने की फसल जब लगभग 25-30 दिनों की हो जाये तब पौधों के ऊपरी शिराओं की हल्की तुड़ाई कर दें, जिससे कि अधिक शाखाएं निकल सकें।

यदि आवश्यकता हो तो प्रथम सिंचाई शाखाएँ निकलते समय (बुवाई के 30-35 दिनों बाद) करें।

चने की इल्लियों की रोकथाम हेतु ञ्ज या ङ्घ आकार की 2 से 2.5 फिट ऊंचाई की 20 से 25 खूटियां एवं फेरोमेन ट्रैप 8 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगायें, साथ ही फसल की सतत निगरानी रखें।

प्रति मीटर क्षेत्र में यदि 2-3 इल्ली पाई जाती हैं तो ट्राईजोफास दवा 800.0 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें।

चने की फसल में जड़ सडऩ रोग का प्रकोप दिखाई दे रहा है अत: किसान भाई फसल का लगातार निरीक्षण करते रहें।

प्रकोप पाए जाने पर रोकथाम हेतु रिडोमिल दवा 1.5 से 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर जड़ों के आसपास छिडक़ाव करें।

कपास

 खेत में नमी की कमी होने की स्थिति पर कपास की फसल की सिंचाई करें।

डेंडू खिलने की अवस्था को देखते हुए खेत की सफाई करें तथा कपास की चुनाई सफाई के साथ करें।

कपास में रसचूसक कीटों का प्रकोप देखा जा रहा है अत: किसान भाइयों को सलाह है कि इसके नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिली/लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड +एसिफेट 1 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें।

 

गन्ना

अगले दिनों के दौरान शुष्क मौसम की स्थिति को देखते हुए, किसानों को गन्ने की फसल में सिंचाई करने की सलाह दी जाती है।

शरदकालीन गन्ने की बुवाई करें।

उद्यानकी फसलें : पिछले महीने रोपाई की गई सब्जी की फसल में अंत:कर्षण क्रियाओं के बाद नाइट्रोजन युक्त उर्वरक दें।

बैंगन की फसल में तना एवं फल छेदक को नियंत्रित करने के लिए नोवालुरॉन 10 मिली प्रति पंप की दर से स्प्रे करें।

वर्तमान मौसम की स्थिति में मिर्च की फसल में वाइरसजनित रोगों के फैलने की संभावना बन रही है, अत: किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि फसल की सतत निगरानी करते रहें।

यदि संक्रमण दिखाई देता है तो ऐसे पौधों को उखाडक़र जमीन में गाड़ दें तथा संक्रमण के प्रारंभिक चरण में रस चूसक कीटों को नियंत्रित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 5-7 मिली प्रति पम्प का छिडक़ाव करें।

 

आलू

अगले पांच दिनों के दौरान मौसम की स्थिति को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि एक माह पुरानी आलू की फसल में सिंचाई के बाद मिट्टी चढ़ाने और उर्वरक देने का कार्य करें।

पशुपालन

रबी चारे की बुवाई जल्द से जल्द पूरी कर लें।

तापमान में कमी और इसके संभावित प्रतिकूल प्रभावों को देखते हुए, डेयरी किसानों को जानवरों को चारों ओर से ईंट या पत्थर की दीवारों से घिरे हुए छतदार पशु शेड में रखने की सलाह दी जाती है।

नए पैदा हुए बछड़े को ठंड से बचाना आवश्यक है। इस हेतु पक्के फर्श को धान की पुवाल या कूड़े से आच्छादित होना चाहिए, जो थर्मल मल्च प्रदान करता है।

सभी दुग्ध जानवरों को रात के दौरान विशेष रूप से संरक्षित और सुरक्षित मवेशी शेड में रखा जाना चाहिए।

किसानों को डेयरी पशुओं के बछड़ों को कृमिनाशक दवा देने की सलाह दी जाती है।

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