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सोयाबीन बुआई के लिए किसानों को सलाह, खेत की करें गहरी जुताई

निमाड़ क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई का समय शुरू हो गया है।

ऐसे में किसान अब जून माह मानसून के आगमन और अच्छी बारिश का इंतजार कर रहें हैं, ताकि खरीफ फसलों की बुआई कर सकें।

सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को अभी किस तरह खेती की तैयारी करनी चाहिए इसकी जानकारी होनी चाहिए।

इससे अधिक वर्षा या कम वर्षा या फसल में लगने वाले कीट-रोगों के प्रभाव को कम किया जा सके।

 

2-3 सोयाबीन की किस्मों का करें चयन

अभी कहीं पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण अभी सोयाबीन की बुआई शुरू नहीं हो पाई है।

वरिष्ठ कृषि उद्यान अधिकारी मंगलसिंह डोडवे ने कहा कि सामान्यतः सोयाबीन की बुआई के लिए उचित समय जून माह के दूसरे सप्ताह से जुलाई माह के प्रथम सप्ताह तक माना जाता है।

इसके बावजूद भी किसानों को मानसून के आगमन के बाद ही न्यूनतम 10 सेमी वर्षा होने के बाद ही सोयाबीन की बुआई करना चाहिए।

 

किसान इस तरह करें अपने खेत को तैयार

वरिष्ठ कृषि उद्यान अधिकारी मंगल सिंह डोडवे ने कहा कि किसानों को सोयाबीन के उत्पादन में स्थिरता लाने के लिए 2 से 3 वर्ष में एक बार अपने खेत की गहरी जुताई करना ही चाहिए

ऐसे किसान जिन्होंने इस पद्धति को नहीं अपनाया है, कृपया इस समय अपने खेत की गहरी जुताई करें।

इसके बाद विपरीत दिशा में कल्टीवेटर एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार करें।

मंगल सिंह डोडवे ने कहा कि सामान्य वर्षों में विपरीत दिशा में दो बार कल्टीवेटर एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार करना चाहिए।

किसानों को अंतिम बखरनी से पूर्व गोबर की खाद (10 टन/हेक्टेयर) या मुर्गी की खाद (2.5 टन/हेक्टेयर) को खेत में फैलाकर अच्छी तरह मिला देना चाहिए।

जिससे भूमि की गुणवत्ता एवं पोषक तत्वों में वृद्धि होती है।

 

2-3 सोयाबीन की किस्मों का चयन करें

मंगल सिंह डोडवे के अनुसार, किसानों को सोयाबीन की अधिक पैदावार के लिए अपनी जलवायु क्षेत्र के लिए अनुशंसित विभिन्न समयावधि में पकने वाली 2-3 सोयाबीन की किस्मों का चयन करना चाहिए।

बीज की उपलब्धता और गुणवत्ता (बीज का अंकुरण न्यूनतम 70 प्रतिशत) सुनिश्चित कर लेना चाहिए।

किसानों को बुआई के समय ही सोयाबीन की खेती के लिए आवश्यक आदान (बीज, खाद उर्वरक, फफुन्दनाशक, कीटनाशक, खरपतवार, जैविक कल्चर) का क्रय एवं उपलब्धता सुनिश्चित कर लेना चाहिए।

 

वर्षा की अनियमितता से बचने के लिए करें यह उपाय

विगत कुछ वर्षों से फसल में सुखा, अतिवृष्टि या असामयिक वर्षा जैसी घटनाएं देखी जा रही हैं।

ऐसी विपरीत स्थितियों में फसल को बचाने के लिए सलाह है कि सोयाबीन की बोवनी के लिए बीबीएफ (चौड़ी क्यारी प्रणाली) या (रिज-फरो पद्धति ) कूड-मेड प्रणाली का चयन करें।

संबंधित यंत्र या उपकरणों का प्रबंध करें।

उपलब्धता के अनुसार अपने खेत में विपरीत दिशाओं में 10 मीटर के अंतराल पर सब-सोइलेर नमक यंत्र को चलाना चाहिए।

इससे भूमि की जल-धारण क्षमता में वृद्धि होगी। सूखे की अनपेक्षित स्थिति में फसल को अधिक दिन तक बचाने में सहायता मिलेगी।

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