जानिए मधुमक्खी पालकों को क्या होगा फायदा….?
मधुमक्खी पालकों और इसके व्यापार से जुड़े लोगों के लिए बुधवार को मधुक्रांति पोर्टल की शुरुआत हुई।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया।
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के तहत इसकी शुरुआत की गई है।
इस पोर्टल पर मधुमक्खी पालकों और इस काम से जुड़े लोगों को रजिस्ट्रेशन करना होगा। शहद की खरीद-बिक्री का भी यहां पर डेटा रहेगा।
सरकार इसके अध्ययन के अनुसार योजनाएं शुरू करेगी और मधुमक्खी पालकों और इसके व्यापार से जुड़े लोगों के लिए राहत देने का काम करेगी।
केंद्र की मोदी सरकार मधुमक्खी पालन के क्षेत्र पर काफी ध्यान दे रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी मीठी क्रांति का जिक्र किया था।
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भारत विश्व के पांच सबसे बड़े शहद उत्पादक देशों में अपना स्थान बना लिया है। लगातार शहद का उत्पादन बढ़ता जा रहा है।
साल 2019-20 में उत्पादन 1 लाख 20 हजार टन तक जा पहुंचा है। यहीं कारण है कि देश के पांच राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इससे संबंधित एफपीओ बनाए गए हैं।
सरकार ने आने वाले समय में 10 हजार एफपीओ बनाने का लक्ष्य रखा है। इसमें भी मधुमक्खी पालक और शहद उत्पादन पर विशेष ध्यादन दिया जा रहा है।
हनी आउटलेट किया जा रहा स्थापित
इसके अलावा, शहद उत्पादों की बिक्री के लिए नेफेड के आउटलेट भी स्थापित किए जा रहे हैं। इसमें हॉनी कॉर्नर का अलग से स्थापना किया जाता है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में करीब 15 ऐसे आउटलेट स्थापित किए जा चुके हैं। जहां पर ग्राहकों को उचित मूल्य पर गुणवत्ता वाले शहद प्रोडक्ट मिलते हैं।
सरकार देश में हनी आउटलेट का विस्तार करने की योजना बना रही है।
कितना होता है एक्सपोर्ट ?
राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 14,12,659 मधुमक्खी कॉलोनियों के साथ कुल 9,580 रजिस्टर्ड मधुमक्खी-पालक हैं.
प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के मुताबिक 2019-20 में भारत ने 59,536.75 मिट्रिक टन प्राकृतिक शहद का एक्सपोर्ट किया गया.
इसके बदले 633.82 करोड़ रुपये मिले. जबकि 2018-19 में 61,333.88 टन प्राकृतिक शहद का निर्यात किया गया. जिसके बदले 732.16 करोड़ रुपये मिले थे.
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