मोटे अनाज से खिले किसानों के चेहरे, बढ़ी आमदनी
मध्यप्रदेश में इस समय ज्वार, बाजरा, धान, मटर, मूंग जैसी फसलों का रकबा बढ़ने से किसानों की आय में भी इजाफा हो रहा है।
राज्य में सिंचाई रकबा बढ़ने और बेहतर समर्थन मूल्य (एमएसपी) ने प्रदेश के किसानों का ध्यान मिलेट्स (श्री अन्न) की तरफ खींचा है।
बड़ी संख्या में किसान अपने खेतों में इन फसलों की पैदावार कर रहे हैं। मोटे अनाज को लेकर प्रदेश में शासन की बदली नीति ने दो-तीन साल में किसानों को का रुझान तेजी से बढ़ाया।
श्रीअन्न लागत कम और मुनाफा ज्यादा
दरअसल, भारत सरकार ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया था। इसी के बाद से मिलेट्स को श्रीअन्न के रूप में भी जाना जाने लगा है।
कृषि एक्सपर्ट बताते हैं कि किसान उन फसलों की ज्यादा बुवाई कर रहे हैं, जिनसे ज्यादा रुपए मिल रहे हैं।
विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि राज्य में तिलहनी फसल सोयाबीन का रकबा घटता जा रहा है, जबकि सरकार ने इसका समर्थन मूल्य 5,328 रुपए प्रति क्विंटल तय कर रखा है। इसी प्रकार कपास की बुवाई सिर्फ मालवा अंचल तक सीमित हो गई है।
कपास (मिडिल स्टेपल) का समर्थन मूल्य वर्ष 2025-26 के लिए 7710 रुपए एवं कपास (लॉन्ग) का भाव 8110 रुपए तय किया है।
प्रदेश में फसलों का रकबा और उत्पादन
रबी/खरीफ फसल | 2023-24 | 2024-25 | ||
उत्पदान | रकबा | उत्पदान | रकबा | |
ज्वार | 0.87 | 1.77 | 0.90 | 1.81 |
मक्का | 15.30 | 48.68 | 20.77 | 68.81 |
तुअर | 1.55 | 1.37 | 2.75 | 3.08 |
मूंग | 0.26 | 0.15 | 0.44 | 0.21 |
सोयाबीन | 60.60 | 68.37 | 58.72 | 63.83 |
गेहू | 97.70 | 328.96 | 101.53 | 341.65 |
मटर | 1.29 | 1.27 | 2.67 | 2.62 |
गन्ना | 1.15 | 7.59 | 1.24 | 7.41 |
मूंगफली (ग्रीष्म) | 0.11 | 0.16 | 0.19 | 0.28 |
धान (ग्रीष्म) | 0.04 | 1.93 | 0.51 | 2.40 |
मक्का (ग्रीष्म) | 0.13 | 0.65 | 0.27 | 1.31 |
स्त्रोत : कृषि विभाग (रकबा-लाख हेक्टेयर व उत्पादन लाख मीट्रिक टन में)
ज्यादा मुनाफे से आकर्षित हुए प्रदेश के किसान
कृषि के जानकार डॉ. अजय कौशल कहते हैं कि किसान ऐसी फसलों का चयन कर रहे हैं जिनमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा मिल रहा हो, साथ ही मौसम के झटकों से ज्यादा नुकसान नहीं हो।
कृषक आमरेन्द्र मिश्रा का कहना है कि मोटे अनाज देने वाली फसले प्राकृतिक प्रकोप को आत्तानी से झेल जाती है, इसलिए भी हमारे राज्य के कृषक ऐसी फसलों की बुवाई पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किए हुए है।
खेती में लाभ पाने जागरूक हुए किसान
बीते दो-तीन साल में किसानों में काफी जागरूकता आई है। नुकसान या कम मुनाफा देने वाली फसलों की बुवाई कम करके मोटे अनाजों की बुवाई को ज्यादा प्राथमिकता दी जाने लगी है। इनसे उन्हें आर्थिक लाभ भी हो रहा है। कृषि विभाग भी लगातार किसानों से संपर्क कर अन्नदाता को जागरूक करता है। – अजय गुप्ता, संचालक, कृषि (मप्र)
आदिवासी क्षेत्रों में श्रीअन्न की डिमांड
प्रदेश के आदिवासी अंचल अनूपपुर, शहडोल, डिंडोरी, बालाघाट सहित आसपास क्षेत्रों में कोदो को लेकर हुए प्रयास ने फसल की मांग बढ़ा दी है।
एक समय तक इसकी कोई डिमांड नहीं थी। क्षेत्रीय स्तर पर बिजनेस मॉडल ने भी अनाज की डिमांड बढ़ाई है।
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