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बासमती के जीआई टैग के लिए सुप्रीम कोर्ट पंहुचा मध्य प्रदेश

बासमती के जीआई टैग के लिए सुप्रीम कोर्ट पंहुचा मध्य प्रदेश

 

मध्यप्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने शुक्रवार को कहा की मद्रास हाई कोर्ट से मध्यप्रदेश को बासमती चावल का भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) दिए जाने के फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है |

 

पटेल ने बताया, मध्यप्रदेश परंपरागत तरीके से बासमती चावल की खेती करने वाला प्रदेश है |  प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार ने इस पर ध्यान नही दिया, इसलिए मद्रास हाई कोर्ट से हमें जीआई टैग नही मिल पाया | अब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा नीत सरकार में हम इसे जीआई टैग करवाएंगे, जिससे किसानो को बासमती धान का उचित मूल्य मिल सके |

 

पटेल ने कहा, जैसे ही मैंने मध्यप्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री का प्रभार संभाला, मैंने इसकी समीक्षा की और मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को 28 मई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई |

 

श्री कमल पटेल ने बताया, मै एक किसान हूँ | इसलिए मैंने किसानो के इस मामले को गंभीरता से लिया है | उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही इस प्रकरण में सुनवाई शुरु हो सकती है |

 

GI टैग क्या होता है ?

विशिष्ट भौगोलिक संकेत (Geographical Indication)

GI टैग अथवा पहचान उस वस्तु अथवा उत्पाद को दिया जाता है जो कि विशिष्ट क्षेत्र का प्रतिनिधत्व करती है, अथवा किसी विशिष्ट स्थान पर ही पायी जाती है अथवा वह उसका मूल स्थान हो।

 

GI टैग कृषि उत्पादों, प्राकृतिक वस्तुओं तथा निर्मित वस्तुओं उनकी विशिष्ट गुणवत्ता के लिए दिया जाता है। यह GI पंजीकरण 10 वर्ष के लिए वैध होता है, बाद में इसे रीन्यू करवाना पड़ता है। कुछ महत्वपूण GI टैग प्राप्त उत्पाद दार्जीलिंग चाय, तिरुपति लड्डू, कांगड़ा पेंटिंग, नागपुर संतरा तथा कश्मीर पश्मीना इत्यादि हैं।