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80 करोड़ लोगों को जल्द मिलेगा फ्री राशन

 

 सरकार ने अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन को दी मंजूरी

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आने वाले लगभग 79 करोड़ 88 लाख लाभार्थियों को प्रतिमाह 05 किलोग्रमाम खाद्यान्न मुफ्त दिया जाता है.

 

पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (चरण-3) के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थियों को दो महीने (मई और जून) राशन देने के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन को मंजूरी दे दी गई है.

अब जल्द ही लाभार्थियों को फ्री राशन का पहला कोटा मिल जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी ने 23 अप्रैल को दो महीने फ्री राशन देने की घोषणा की थी.

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आने वाले लगभग 79 करोड़ 88 लाख लाभार्थियों को प्रतिमाह 05 किलोग्रमाम खाद्यान्न मुफ्त दिया जाता है.

इसमें अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले घर (पीएचएच) जिनमें डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर वाले लाभार्थी भी शामिल हैं.

गेहूं/चावल के संदर्भ में राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश का आवंटन खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत मौजूदा आवंटन अनुपात के आधार पर तय किया जाएगा.

 

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इसके अलावा, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग आंशिक और स्थानीय लॉकडाउन स्थितियों और मानसून, चक्रवात, आपूर्ति श्रृंखला एवं प्रतिकूल मौसम व कोविड के कारण उत्पन्न हुई बाधाओं और कोविड से जुड़ी बाधाओं आदि को ध्यान में रखते हुए परिचालन आवश्यकताओं के अनुसार पीएमजीकेएवाई के अंतर्गत उठाने/वितरण की अवधि के विस्तार पर निर्णय ले सकता है.

 

25 हजार करोड़ से अधिक की लागत आएगी

खाद्यान्नों के संदर्भ में कुल आवंटन लगभग 80 लाख मीट्रिक टन हो सकता है. लगभग 79 करोड़ 88 लाख लोगों को दो महीने अर्थात मई-जून 2021 के दौरान टीडीपीएस के अंतर्गत 05 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिमाह की दर से अतिरिक्त खाद्यान्न के निःशुल्क आवंटन पर लगभग 25 हजार 333 करोड़ रुपए खाद्यान्न सब्सिडी की लागत आएगी जिसमें चावल के लिए 36,789.2 रुपए प्रति मीट्रिक टन और गेहूं के लिए 25,731.4 रुपए प्रति मीट्रिक टन की अनुमानित आर्थिक लागत शामिल है.

 

इस अतिरिक्त आवंटन से कोरोनावायरस के कारण पैदा हुए आर्थिक गतिरोध से गरीबों के सामने जीवनयापन में आई कठिनाइयों को कुछ कम किया जा सकेगा.

आनेवाले दो महीनों में किसी भी गरीब परिवार को खाद्यान्न की अनुपलब्धता के कारण संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा.

 

पिछले साल कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी.

लॉकडाउन में सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियां बंद हो गईं थीं और प्रवासी श्रमिक अपने गृह नगर को लौट रहे थे. उन्हें भोजन के लिए परेशानी न हो, इसी उदेश्य से केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी.

 

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