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किसानों के लिए खुशखबरी सरसों के भाव में फिर से आई तेजी

 

इस कारण बढ़ी है देश में तेल की मांग

 

विदेशों में हल्के तेलों की मांग बढ़ी है और घरेलू तेल तिलहन कीमतों पर भी इसका अनुकूल असर देखने को मिल रहा है.

इस सीजन में सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक मिल रहा है.

 

सरसों दाना और तेल के भाव में पिछले सप्ताह आई गिरावट के बाद सोमवार को इममें तेजी देखने को मिली.

विदेशी बाजारों में तेजी के रुख और कोरोना महामारी के बीच वैश्विक स्तर पर हल्के तेलों की मांग बढ़ने से दिल्ली तेल तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों तेल, सोयाबीन तेल तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन जैसे लगभग सभी तेल तिलहनों के भाव तेजी दर्शाते बंद हुए.

तेल उद्योग के जानकारों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में 4- 4.5 प्रतिशत की तेजी रही, जबकि शिकागो एक्सचेंज में चार प्रतिशत की तेजी देखने को मिली.

 

इस वैश्विक तेजी के बीच विदेशों में हल्के तेलों की मांग बढ़ी है और घरेलू तेल तिलहन कीमतों पर भी इसका अनुकूल असर देखने को मिल रहा है.

 

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सोयाबीन दाना की भारी मांग

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन की तेल रहित खल (डीओसी) की स्थानीय और निर्यात मांग के बढ़ने से सोयाबीन दाना की भारी मांग है.

महाराष्ट्र की लातूर मंडी में जहां हर दिन लगभग 25000 बोरी की आवक थी, वह घटकर 8-10 हजार बोरी रह गई है.

मलेशिया एक्सचेंज में तेजी और आयात शुल्क मूल्य बढ़ने से सीपीओ और पामोलीन तेल की कीमतों में भी सुधार दिखा.

जबकि सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे. मांग बढ़ने से बिनौला में भी सुधार आया.

 

सरसों तेल की बढ़ी मांग

स्थानीय स्तर पर सरसों तेल सस्ता होने और मिलावट मुक्त होने के कारण इसकी भारी मांग है.

आयाम शुल्क-मूल्य में वृद्धि किए जाने का असर देश के अन्य खाद्य तेल कीमतों पर भी हुआ और बिनौला सहित बाकी तेलों के भाव भी लाभ दर्शाते बंद हुए.

आगरा की सलोनी मंडी में सरसों की इतनी मांग है कि वहां 7500 रुपये क्विन्टल के भाव इसकी खरीद हो रही है.

 

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किसानों को समर्थन दे सरकार

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को खाद्य तेल बाजार पर पैनी नजर रखने के साथ किसानों को समर्थन देना जारी रखना होगा.

देश में तिलहन उत्पादन बढ़ने से विदेशीमुद्रा की बचत होगी, रोजगार बढ़ेंगे, खल निर्यात से आमदनी बढ़ेगी और देश की अर्थव्यवस्था में भी काफी सुधार होगा.

सरसों अनुसंधान केंद्र भरतपुर के निदेशक डॉ. पीके राय के मुताबिक तिलहन के मामले में भारत अभी दूसरे देशों पर निर्भर है.

भारत खाद्य तेलों के इंपोर्ट पर सालाना 70,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रहा है.

रबी सीजन में सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक मिल रहा है. इसकी वजह से यह चर्चा का विषय बना हुआ है.

इसका एमएसपी 4650 क्विंटल रुपये है. जबकि यह इससे अधिक रेट पर बिक रहा है.

 

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

  • सरसों तिलहन – 6,985 – 7,035 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये.
  • सरसों तेल दादरी- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल.
  • सरसों पक्की घानी- 2,140 -2,220 रुपये प्रति टिन.
  • सरसों कच्ची घानी- 2,320 – 2,350 रुपये प्रति टिन.

 

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