भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली के वैज्ञानिकों ने एक चॉकलेट बनाई थी.
ये चॉकलेट गाय-भैंसों को देने से उन्हें काफी भूख लगती है.
भूख लगने से वह ज्यादा भोजन खाने और उसे पचाने में सक्षम होते हैं, जिसके चलते दुधारू पशुओं में दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है.
चॉकलेट बनाई
अगर आपको पता चले कि गाय-भैंस भी चॉकलेट खाती हैं तो आप हैरान रह जाएंगे.
दरअसल, कुछ सालों पहले भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली के वैज्ञानिकों ने एक चॉकलेट बनाई थी.
इस चॉकलेट की खास बात ये थी कि इसे गाय और भैंस को खिलाने से उनके अंदर दुग्ध उत्पादन की क्षमता बढ़ जाती है.
ये चॉकलेट कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर है. इस चॉकलेट को जुगाली करने वाले पशु ही खा सकते है.
पशुओं के स्वास्थ्य के साथ होता है खिलवाड़
कई बार दुधारू पशु बीमार पड़ने या फिर किसी तरह की पोषक तत्वों की कमी के चलते दूध देना कम कर देते हैं.
पशुओं में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुपालक ऊटपटांग तरीकों की मदद लेता है.
इस दौरान वह पशुओं के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ कर जाता है.
कई बार ज्यादा दुग्ध उत्पादन की चाहत में वह पशुओं को ऐसे इंजेक्शन भी देता है, जो प्रतिबंधित है और उनके मवेशियों के लिए काफी हानिकारक है.
इस स्थिति में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली के द्वारा बनाई गई इस यूएमएमबी चॉकलेट पशुओं के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है.
जितना बेहतर डाइजेशन उतना ज्यादा दुग्ध उत्पादन
डॉ आनंद सिंह, पशुपालन वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र-2, सीतापुर कहते हैं कि यूएमएमबी पशु चॉकलेट गाय-भैंसों को देने से उन्हें काफी भूख लगती है.
भूख लगने से वह ज्यादा भोजन खाने और उसे पचाने में सक्षम होते हैं.
बढ़िया आहार और पशुओं का डाइजेशन सिस्टम सही होने पर उनमें दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ती है.
इस चॉकलेट को बनाने के इन तरीकों का होता है इस्तेमाल
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली की मानें तो इस चॉकलेट को बनाने के लिए
- इसमें चोकर,
- सरसों की खल,
- यूरिया,
- कैल्शियम,
- मैग्निशियम,
- जिंक,
- कॉपर,
- नमक आदि का इस्तेमाल होता है.
इसे पशुओं के पोषक तत्व की पूर्ति होती है. इससे पशु लंबे समय तक स्वस्थ बने रहते हैं.
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