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मचान विधि से करें खीरा, लौकी और करेला की खेती

 

90 फीसदी फसल नहीं होगी खराब

 

देश के किसान अब खेती करने में वैज्ञानिक पद्धतियों को अपना रहे हैं. जिससे वे अधिक पैदावार ले रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इन दिनों किसानों में मचान विधि और 3 जी पद्धित काफी प्रचलित हो रही है. 

 

मचान विधि बेल वाली सब्जियों के लिए बेहद कारगर विधि मानी जाती है. वहीं यदि लौकी खेती के लिए 3 जी पद्धति अपनाएंगे तो अधिक मुनाफा होगा. तो आइए जानते हैं खीरा, लौकी और करेला की खेती मचान विधि से कैसे करें.

 

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क्या मचान विधि?

मचान विधि बेल वाली सब्जियों जैसे लौकी, खीरा और करेला के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इसमें बांस या तार की मदद से खेत में मचान तैयार करके उस पर सब्जियों की बेल को चढ़ा देते हैं. 

मचान विधि के फायदें

1. मचान विधि से 90 प्रतिशत तक सब्जियां खराब नहीं होती है.

2. बरसात के समय इन बेल वाली सब्जियों के खराब होने का अंदेशा बना रहता है ऐसे में यह विधि बेहद कारगर मानी जाती है.

3. यदि सब्जियों में किसी प्रकार रोग या कीट लग जाते हैं तो दवाईयां छिड़कने में भी बेहद आसानी होती है.

4. ज्यादा बारिश या गर्मी के दिनों में फल जमीन से लगकर सड़ते नहीं है.

5. गर्मियों के दिनों में मचान के नीचे धनिया के बुआई करके अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है.

6. इस पद्धति को अपनाने से फलों गुणवत्ता और पैदावार दोनों में बढ़ोत्तरी होती है.

क्या है 3 जी कटिंग पध्दति?

3 जी कटिंग पध्दति को अपनाकर लौकी का अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. दरअसल, एक सामान्य बेल से 50 से 150 का उत्पादन होता है लेकिन 3 जी कटिंग को अपनाकर एक बेल से 300 से 400 लौकियों का उत्पादन लिया जा सकता है. 

 

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3 जी कटिंग तो जब पौधे में 20 से 25 पत्तियां आ जाए तब पौधे के टाप भाग को हटा देते है. उसके बाद उसमें 2 भाग निकलते हैं जिनमें जब 20 से 25 शाखाएं आ जाए तब उस भाग को भी काट देते हैं.

 

अब इसमें जितनी भी शाखाएं होगी वह 3 जी शाखाएं होगी और उन सभी में फल आएंगे. बता दें कि लौकी की मुख्य शाखा में नर पुष्प अधिक आते हैं लेकिन सहायक शाखा में अक्सर मादा पुष्प् ही आते हैं जिससे फल ज्यादा आते हैं.

 

स्त्रोत : कृषि जागरण 

 

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