सस्ती दर पर ही मिलता रहेगा डीएपी, 175 रुपये महंगा हो जाता डीएपी अगर नहीं मिलता पैकेज

वर्ष के पहले दिन ही केंद्र सरकार ने किसानों के हित में दो बड़े फैसले लिए हैं। खेती में यूरिया के बाद सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाले उर्वरक डाय- अमोनियम फास्फेट (डीएपी) पर विशेष सब्सिडी को जारी रखने के साथ-साथ फसल बीमा योजना को भी विस्तार दिया है।

केंद्र सरकार के फैसले से डीएपी की कीमतों में वृद्धि नहीं होगी। किसानों को पूर्ववत किफायती एवं रियायती दर पर ही उपलब्ध होता रहेगा। किसानों को प्रति बोरी (50 किलो) डीएपी 1350 रुपये में मिलता है।

सस्ते दाम पर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए सरकार को पिछले वर्ष प्रति टन 35 सौ रुपये की विशेष सब्सिडी की व्यवस्था करनी पड़ी थी, जिसकी अवधि 31 दिसंबर को खत्म हो गई थी।

सब्सिडी जारी नहीं रखी जाती तो प्रति बोरी डीएपी के मूल्य में 175 रुपये की वृद्धि हो जाती।

किंतु केंद्रीय कैबिनेट ने नए वर्ष पर किसान हित में फैसला लेते हुए डीएपी पर 3850 रुपये प्रति टन एकमुश्त विशेष पैकेज के विस्तार को मंजूरी दे दी है, जो अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा।

 

1350 रुपये में अभी किसानों को मिलता है डीएपी

कैबिनेट की बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अगर डीएपी पर सब्सिडी नहीं बढ़ाई जाती तो प्रति बैग 175 रुपये महंगा हो जाता।

यानी 50 किलो बैग का मूल्य 1350 रुपये से बढ़कर 1525 रुपये हो जाता। दोनों फैसले को पीएम मोदी ने किसान हित में बताया है।

उन्होंने एक्स पर लिखा है कि नए साल का पहला निर्णय करोड़ों किसान भाई बहनों को समर्पित किया है।

 

उर्वरक कंपनियों को दिया जाता है अनुदान

फास्फेट एवं पोटाश युक्त (पीएंडके) उर्वरकों पर केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2010 से ही पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना चलाई जा रही है।

इसके अंतर्गत उर्वरक कंपनियों को अनुदान दिया जाता है। ये कंपनियां बाजार के हिसाब से उर्वरकों का उत्पादन एवं आयात करने के लिए स्वतंत्र होती हैं। इन्हीं कंपनियों एवं आयातकों के माध्यम से पीएंडके उर्वरकों के 28 ग्रेड अनुदान वाले मूल्य पर किसानों को उपलब्ध कराए जाते हैं।

ऐसे में किसानों को अतिरिक्त राहत देने के लिए एनबीएस अनुदान से अलग विशेष पैकेज के जरिए रियायती, किफायती एवं उचित मूल्य पर डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है।

डीएपी के मामले में भारत लगभग 90 प्रतिशत तक आयात पर निर्भर रहता है।

हाल के दिनों में डालर की तुलना में रुपये का अवमूल्यन और डीएपी बनाने में प्रयोग होने वाले फास्फोरिक एसिड एवं अमोनिया के मूल्य में 70 प्रतिशत तक की वृद्धि के चलते महंगा होने का खतरा बढ़ गया था।

इन कृषि यंत्रो को सब्सिडी पर लेने हेतु अब 06 जनवरी तक कर सकते है आवेदन

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