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धार के किसान के गेहूं की देशभर से आने लगी डिमांड

धार के किसान ने प्रयोग के तौर पर उगाए थे काले गेहूं, अब देशभर से आने लगी डिमांड

धार. मध्यप्रदेश के धार जिले के किसान विनोद चौहान ने अपने खेत पर प्रयाेग के ताैर पर काला गेहूं लगाया था, लेकिन उत्पादन आने के बाद देशभर से अब उनके पास डिमांड आने लगी है। इस बार उन्होंने 20 बीघा जमीन में 5 क्विंटल गेहूं लगाया। इससे करीब 200 क्विंटल फसल का उत्पादन हुआ है। पंजाब के रिचर्स सेंटर नेशनल एग्री फूड बायाे टेक्नाेलाॅजी माेहाली की कृषि वैज्ञानिक डाॅ. माेनिका गर्ग ने इस गेहूं की किस्म को ईजाद किया है। विनोद धार जिले के ब्लाॅक उटावद के पास में सिरसाैदा गांव के रहने वाले हैं।

 

काले गेहूं में एंथाेसाइनिन की मात्रा आम गेहूं की तुलना में अधिक

कृषि वैज्ञानिक गर्ग के अनुसार- काले गेहूं में एंथाेसाइनिन की मात्रा आम गेहूं की तुलना में 40 से 140 पास प्रति मिलियन अधिक पाई जाती है, जबकि आम गेहूं 5 से 15 पास प्रति मिलियन हाेती है। काले गेहूं में जिंक की मात्रा भी अधिक हाेती है। सामान्य गेहूं से 60 प्रतिशत अधिक आयरन हाेता है। एंथाेसाइनिन के कारण यह शुगर फ्री रहता है। स्टार्च कम हाेता है यानी गुल्टीन की मात्रा कम हाेने से यह शुगर वाले मरीजाें के लिए अधिक लाभकारी है। पाचन क्षमता भी अच्छी रहती है।

 

black wheat farmer vinod chouhan dhar

3500 से 4000 रुपए प्रति क्विंटल है भाव

किसान चाैहान ने बताया – महू मंडी में लाॅकडाउन के पहले 3500-4000 रुपए प्रति क्विंटल भाव थे। विशेष गुण हाेने से इतने भाव हैं, लेकिन तीन साल के बाद अधिक लाेग इसकी खेती करने लगेंगे तब भाव इतने नहीं रहेंगे। अंकुरण क्षमता अधिक है, इसलिए इसमें पानी अधिक और बीज कम लगता है। दूसरे गेहूं से 15 दिन देरी से आता है। आम गेहूं की अलग-अलग किस्में 120 से 125 दिन में कटती है, इसकी फसल 140 दिन में आती है।

 

ऐसे मिली प्रेरणा 

किसान विनाेद चाैहान ने बताया कि उन्हाेंने यू ट्यूब पर इसके बारे में देखा और जानकारी ली थी। पिछले साल शुजालपुर के किसान ने यह गेहूं लगाया था। इसका बीज 200 रुपए किलाे में बेचा था। पंजाब से 12 हजार रु. प्रति क्विंटल में 5 क्विंटल बीज मंगाए थे। राजस्थान, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक से गेहूं के बीज के लिए डिमांड आ रही है।

 

काला गेहूं कैंसर रोकने में सहायक

काला गेहूं जिले के सिरसाैदा, खैराेद, मनासा सहित अन्य स्थानों पर लगाया गया है। इसे लेकर अनुसंधान जारी है। हालांकि इसमें एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक हाेती है जाे कि कैंसर काे राेकने में सहायक है। फाइबर हाेने से सुपाच्य हाेता है, स्टार्च कम हाेने से शुगर के लिए लाभकारी कहा जा सकता है। इसमें फेट की मात्रा कम हाेने से माेटापा भी कम हाेने की संभावना हाेती है। इसे नबीएमजी नाम दिया गया है।

– डाॅ. केएस किराड़, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान धार

source:Daink Bhaskar

 

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