29 मई से शुरू होगा विकसित कृषि संकल्प अभियान

कृषि वैज्ञानिक किसानों के पास जाकर देंगे यह जानकारियां

विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत कृषि वैज्ञानिकों की टीम गांव में किसानों के पास जाकर वहाँ की जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की उपलब्धता, मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के आधार पर किसानों को जानकारी देगी।

इसके अलावा किसानों के सवालों और समस्याओं के आधार पर आगे रिसर्च की जाएगी।

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने और फसल उत्पादन की लागत को कम करने के लिए सरकार आधुनिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दे रही है।

इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा किए जा रहे अनुसंधानों को किसानों तक पहुँचाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।

अब देश भर के कृषि वैज्ञानिक और कृषि अधिकारी किसानों के पास जाकर उन्हें खेती की नई पद्धतियों के बारे में जानकारी देंगे।

इसके लिए देश भर में 29 मई से 12 जून तक विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया जाएगा।

इस संबंध में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 19 मई के दिन नई दिल्ली में जानकारी देते हुए कहा कि 29 मई से देशव्यापी विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लिए विकसित कृषि, विकसित खेती और समृद्ध किसान जरूरी है।

 

कृषि वैज्ञानिकों की बनाई जाएगी टीम

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अभी देश में लगभग 16 हजार वैज्ञानिक रिसर्च के काम में लगे हुए हैं। लेकिन वर्तमान स्थितियों के अनुसार किसानों के लिए इसकी उपयोगिता प्रतिपादित होना चाहिए।

सरकार ने इसलिए तय किया कि मांग आधारित रिसर्च होनी चाहिए, हमने इस अभियान की रूपरेखा बनाई, जिसमें वैज्ञानिकों की 2170 टीमें बनाई जा रही हैं, इन टीमों में कम से कम 4 वैज्ञानिक हरेक टीम में होंगे, इनके साथ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को भी जोड़ा जाएगा।

यूनिवर्सिटी, कॉलेज, राज्य सरकार का अमला, केंद्र की कृषि विभाग की टीम, प्रगतिशील किसान, FPOs आदि, ये सब मिलकर टीम के रूप में जिलों में जाएंगे और गांवों में पहुंचकर वहां आसपास के गांवों से भी किसानों को एकत्र कर 29 मई से 12 जून तक रोज सुबह-शाम व दोपहर के भोजन के समय भी किसानों से संवाद करेंगे।

 

किसानों को दी जाएगी यह जानकारियां

कृषि मंत्री ने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत वैज्ञानिकों की टीम जिस जगह जाएगी वहां की एग्रो क्लाईमेटिक कंडीशन क्या है?

वहां मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं? किन की कमी है, पानी कितना है, वर्षा कितनी होती है, जलवायु कैसी है, मिट्टी की गुणवत्ता/ सॉइल हेल्थ कार्ड बना है या नहीं, लेकिन यदि किसान उसका उपयोग नहीं कर रहे तो सॉइल हेल्थ कार्ड में जो मिट्टी में तत्व हैं जिनकी कमी है उसके आधार पर यहां कौन-से बीज किस फसल के अच्छे रहेंगे, कौन-सी फसल ठीक होगी, वो किसानों को बताया जाएगा।

इसके अलावा किसान किस पद्धति से बोनी करें यह भी टीम बताएगी। कौन-सा खाद कितनी मात्रा में डाला जाए, ये भी किसानों को बताया जाएगा।

कई बार जिस चीज की जरूरत नहीं है, वो भी किसान डालते रहते हैं, DAP, यूरिया जितनी जरूरत है, उससे ज्यादा हो जाता है तो खर्च बढ़ता है व मिट्टी का स्वास्थ्य भी खराब होता है, तो सारे वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर किसानों को जानकारी देंगे, ये संवाद के रूप में होगा।

 

लैब और विज्ञान जाएगा किसानों के द्वार

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि लैब टू लैंड यानि लैब से खेतों तक शोध पहुंचे। अभियान के तहत लैब और विज्ञान किसानों के द्वार जायेगा।

जिससे कृषि का उत्पादन भी बढ़ेगा और खेती की लागत भी घटेगी। इससे कृषि शोध की दिशा भी तय होगी। यह एक रचनात्मक अभियान है।

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक ग्यारह महीने लैब में और एक महीने किसानों के पास जाकर कार्य करेंगे। खरीफ और रबी दोनों फसलों की बुआई से पहले प्रत्येक वर्ष यह अभियान चलेगा।

 

किसान वैज्ञानिकों से पूछेंगे सवाल

कृषि मंत्री ने कहा कि किसान टीमों से सवाल पूछेंगे और समस्याएं भी बताएंगे और किसान जो बताएंगे, उसके आधार पर रिसर्च की दिशा भी तय की जाएगी।

क्षेत्र के किसानों की ये समस्या है, ये दिक्कत आ रही है, इन कीटों का प्रकोप होता है तो उससे बचने के लिए क्या करें। ये अभिनव, महत्वपूर्ण, रचनात्मक अभियान है, इसमें किसान व विज्ञान दोनों जुड़ेंगे।

विकसित कृषि संकल्प अभियान में 731 कृषि विज्ञान केंद्रों व ICAR के 113 संस्थानों के वैज्ञानिक-विशेषज्ञ सक्रिय रूप से भाग लेंगे।

अभियान 723 जिलों में चलाया जाएगा। प्रत्येक जिले के लिए 3 टीमों का गठन किया गया है, जिसमें कृषि, बागवानी, पशुपालन, मछली पालन आदि विभागों के अधिकारी, वैज्ञानिक एवं नवोन्मेषी किसान भी शामिल हैं।

2,170 टीमें 65 हजार से अधिक गांवों में किसानों से सीधा संवाद करेगी। अभियान में 1.30 करोड़ से अधिक किसानों से सीधा संवाद होगा, जो देश में कृषि नवाचार और जागरूकता को नई दिशा देगा।

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