अभी किसानों ने अपने खेतों में ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द लगा रखी है, ऐसे में किसान कुछ उपाय करके इनका उत्पादन बढ़ा सकते हैं। जिसमें समय पर कीट और बीमारियों के नियंत्रण के साथ ही नैनो डीएपी का स्प्रे शामिल है।
किसानों द्वारा नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी उर्वरक का उपयोग बढ़ता जा रहा है।
कृषि अधिकारियों के मुताबिक मूंग एवं उड़द फसलों के फूल एवं फल्लियां बनने की वर्तमान अवस्था में यदि किसानों द्वारा नैनो डीएपी का एक स्प्रे किया जाये तो उनके उत्पादन में 10 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है।
बढ़ जाएगा उत्पादन
किसान कल्याण तथा कृषि विकास के उपसंचालक रवि आम्रवंशी ने बताया कि नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी नैनो तकनीक पर आधारित उर्वरक हैं।
इसमें नाइट्रोजन एवं फास्फोरस नैनो यानी सूक्ष्म कणों के रूप में उपस्थित होते हैं।
यह कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि फसलों में स्प्रे करने पर पौधों की पत्तियों में पाये जाने वाले स्टोमेटा से पौधे के अंदर प्रवेश कर जाते है तथा 20 से 25 दिनों तक पौधे के सिस्टम में रहते है।
पौधे आवश्यकता पड़ने पर इसका उपयोग करते हैं।
फसल के दानों और गुणवत्ता में होता है सुधार
उपसंचालक के अनुसार नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी किसानों को सीधे तौर पर लाभान्वित करते हैं। इन उर्वरकों के उपयोग से धान में बदरा रहित खेती संभव है।
साथ ही फसलों के अविकसित दानों में इन उर्वरकों के प्रयोग से दानों के आकार, वजन, चमक एवं उनकी गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
नैनो डी.ए.पी. से बीज उपचार करने से लगभग 25 प्रतिशत फास्फोरस की पूर्ति की जा सकती है।
खड़ी फसल में भी किसान नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी उर्वरक का प्रयोग कर किसान दानेदार उर्वरकों की लगभग 50 प्रतिशत मात्रा की बचत कर सकते हैं।
किसानों द्वारा इन उर्वरकों में कीटनाशक एवं फफूंद नाशक दवा को आवश्यकता अनुसार मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है।
नैनो डीएपी और नैनो यूरिया से फसल को मिलते हैं यह लाभ
कृषि विभाग जबलपुर के उपसंचालक आम्रवंशी ने बताया कि नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का उपयोग फसलों में स्प्रे के माध्यम से किया जाता है।
जिसे फसलों की पत्तियों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। नैनो डीएपी का उपयोग बीजोपचार के लिये भी किया जाता है।
इसलिए नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी की अधिकतम उपयोग क्षमता 90 प्रतिशत हो जाती है।
उनके अनुसार दानेदार यूरिया एवं दानेदार डीएपी का उपयोग भूमि में किया जाता है।
जो फसलों की जड़ों द्वारा अवशोषित कर पौधों को प्रदाय किया जाता है। इससे अधिकतर नाइट्रोजन भूमि में लीचिंग से निचली सतह में चला जाता है या वायुमंडल में वाष्पीकृत हो जाती है।
फस्फोरस भी जमीन में मिट्टी के कणों के साथ फिक्स हो जाता है। दानेदार उर्वरकों की अधिकतम उपयोग क्षमता 25 से 30 प्रतिशत तक ही होती है।
फसल लागत में आती है कमी
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 500 मिलीलीटर की मात्रा के साथ नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत 225 रुपए है। इसमें नाइट्रोजन की मात्रा 20 प्रतिशत होती है।
नैनो डीएपी की 500 मिलीलीटर की बोतल में नाइट्रोजन 8 एवं फास्फोरस की 16 प्रतिशत मात्रा होती है। इसकी कीमत 600 रुपए है।
यह दानेदार यूरिया, डी.ए.पी. की एक बोरी के बराबर फसलों में लाभदायक होती है।
प्रति बोरी दानेदार यूरिया, डी.ए.पी. के स्थान पर फसलों में नैनो यूरिया, नैनो डीएपी का स्प्रे करने पर कृषकों को यूरिया में लगभग 41 रुपए तथा डीएपी. में 750 रुपए प्रति बोरी की बचत होती है।
उपसंचालक के अनुसार आगामी समय में खरीफ फसलों के अंतर्गत मक्का एवं धान की बोनी से पहले 5 मिलीलीटर नैनो डी.ए.पी. से प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार किया जाये तो फसलों का अंकुरण अधिक एवं पौधे की बढ़वार सामान्य से अच्छी होगी तथा फसलों में दानेदार डीएपी की 25 प्रतिशत मात्रा का उपयोग करने पर भी उत्पादन अधिक प्राप्त किया जा सकता है।