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सिर्फ कुछ सालों में ही सफेदा की खेती कर कमाएं 50-60 लाख

Posted on July 3, 2022July 3, 2022

कम खर्च में ज्यादा मुनाफा

 

भारत में सफेदा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके पौधे के लिए किसी खास जलवायु और मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है.

इसे कहीं भी उगाया जा सकता है. यह 6.5 से 7.5 के मध्य P.H. मान वाली भूमि में अच्छे से विकास करता है.

 

भारत में यूकेलिप्टिस को सफेदा और नीलगिरी के नाम से जाना जाता है. इसकी लकड़ियां बेहद मजबूत होती हैं.

घरों के फर्नीचर से लेकर पार्टिकल बोर्ड और इमारतों को बनाने में इसका उपयोग किया जाता है.

बता दें कि इसके पौधे के लिए किसी खास जलवायु और मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है. इसे कहीं भी उगाया जा सकता है.

 

सफेदा की खेती के लिए इस तरह की मिट्टी की जरूरत

भारत में सफेदा की खेती हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, बिहार, केरल, गुजरात, पश्चिम बंगाल, गोवा, महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है.

इसका पौधा 6.5 से 7.5 के मध्य P.H. मान वाली भूमि में अच्छे से विकास करता है.

यह पेड़ अधिकतम 47 डिग्री और न्यूनतम 0 डिग्री तापमान तक जिंदा रहने में सक्षम है.

 

खेतों की तैयारी और रोपाई

  • सफेदा के पौधे को लगाने से पहले खेतों से खरपतवार साफ कर लें.
  • फिर इसकी बढ़िया से दो-तीन बार जुताई करें.
  • इसके बाद पौधों के रोपाई के लिए गड्ढे तैयार करें.
  • गड्ढा तैयार होने के बाद रोपाई की प्रकिया शुरू कर दें.
  • इसके लिए बीजों को नर्सरी में लगाकर पौध तैयार की जाती है.
  • आप इन पौधों को किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी ख़रीद सकते हैं.

 

सहफसली तकनीक अपनाएं

युकेलिप्टस के पौधों को पेड़ बनने में तक़रीबन 8 से 10 वर्ष का समय लग जाता है.

इस बीच खाली पड़ी भूमि में किसान औषधीय या मसाला फसलों को उगाकर अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं.

विशेषज्ञ इन पेड़ों के बीच हल्दी और अदरक जैसी फसलों को लगाने की सलाह देते हैं.

 

50 से 60 लाख का मुनाफा

युकेलिप्टस के पौधों को पूर्ण रूप से तैयार होकर पेड़ बनने में 10 से 12 वर्ष का समय लग जाता है.

इसकी खेती में लागत भी कम लगती है. एक पेड़ का वजन 400 KG के आसपास होता है.

एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन एक से डेढ़ हज़ार पेड़ों को लगाया जा सकता है.

पेड़ तैयार होने के बाद इन लकड़ियों को बेच किसान आराम से 50 से 60 लाख तक की कमाई कर सकता है.

यह भी पढ़े : अधिक पैदावार के लिए बुआई से पहले ज़रूर करें बीज अंकुरण परीक्षण

 

यह भी पढ़े : सोयाबीन की बोवनी हेतु किसानो के लिए महत्वपूर्ण सलाह

 

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