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स्वीट कॉर्न की खेती करने वाले किसान कमा रहे हैं मोटा मुनाफा

स्वीट कॉर्न की खेती मक्का की खेती की ही तरह ही की जाती है.

हालांकि, स्वीट कॉर्न की खेती में मक्का की फसल पकने से पहले ही तोड़ ली जाती है,

इसलिये किसानों को कम समय में ही अच्छा मुनाफा हो जाता है.

 

आप कैसे कर सकते हैं खेती

बारिश का मौसम शुरू होते ही भुट्टा खाने की ललक सबके मन में उठती है. फाइबर से भरपूर भुट्टा सेहत के लिए शानदार होता है.

यही वजह है कि बाजार में भुट्टों की मांग बढ़ जाती है और किसानों को इसका मुंह मांगा दाम मिलता है.

भुट्टा जिसे अंग्रेजी में आप स्वीट कॉर्न भी कहते हैं कई तरह से खाया जाता है. इसे कुछ लोग उबाल के खाते हैं, कुछ लोग भुन के.

वहीं कुछ इसका सूप पीना पसंद करते हैं. जबकि इसके सूख जाने पर लोग इसका पॉपकॉर्न बना कर चाव से खाते हैं.

तो चलिए आज के इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कैसे करनी है स्वीट कॉर्न की खेती.

 

देसी मक्के से कितना अलग होता है स्वीट कॉर्न?

दरअसल, स्वीट कॉर्न मक्के की ही एक बेहद मीठी किस्म है, मक्का की फसल के पकने से पहले ही जब इसे दूधिया अवस्था में काट लिया जाता है तो इसे स्वीट कॉर्न कहते हैं.

भारत के साथ-साथ स्वीट कॉर्न को दूसरे देशों में भी काफी ज्यादा पसंद किया जाता है.

यही वजह है कि स्वीट कॉर्न की मांग को पूरा करना कभी कभी बड़ी चुनौती बन जाता है.

इसलिये अगर किसान आम मक्का उगा रहे हैं, तो दोगुना कमाई के लिये स्वीट कॉर्न की खेती कर सकते हैं.

 

इसकी खेती कैसे होती है?

स्वीट कॉर्न की खेती बिल्कुल मक्का की खेती की ही तरह ही की जाती है.

हालांकि, स्वीट कॉर्न की खेती में मक्का की फसल पकने से पहले ही तोड़ ली जाती है, इसलिये किसानों को कम समय में ही अच्छा मुनाफा हो जाता है.

ध्यान रहे कि इसकी खेती करते समय मक्का की उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें.

कम समय में पकने वाली कीटरोधी किस्मों को चुनना सबसे बेहतर रहता है.

खेत की तैयारी करते समय जल निकासी का प्रबंधन जरूर कर दें, इससे फसल में जल-भराव नहीं होता है.

वैसे तो स्वीट कॉर्न पूरे भारत में उगाई जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश मे बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती  है.

आपको बता दें, उत्तर भारत में इसकी बुआई खरीफ के मौसम में यानी जून से जुलाई के बीच की जाती है.

स्वीट कॉर्न की खेती रबी और खरीफ दोनों सीजन में आप कर सकते है.

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