हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें
WhatsApp Group Join Now

मटर की खेती कर किसान अधिक लाभ कमाएं

खरीफ की पड़त भूमि पर

 

कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार, डॉ. यू. एस. धाकड़, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के. जाटव एवं जयपाल छिगारहा ने क्षेत्र में खरीफ फसलों का अवलोकन करने के बाद कृषक संगोष्ठी का आयोजन कर किसानों को सलाह दी कि खरीफ मौसम में जो रकबा बुवाई से छूट गया था उसमें सब्जी वाली मटर लगाकर 70-80 दिन में अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं।

 

मटर की किस्में

  1. अर्किल,
  2. काशी नंदनी,
  3. पीएसएम-3,
  4. कशी उदय,
  5. कशी मुक्ति,
  6. आजाद पी-1 आदि सब्जी के लिए उपयुक्त हैं।

खाद और उर्वरक

मटर की बुवाई से पहले खेत में अच्छा सड़ा हुआ गोबर की खाद 40-50 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से खेत में मिला दें।

उसके बाद बीज बोने से पहले 125-150 किलोग्राम प्रति एकड़ सिंगल सुपर फास्फेट खेत की अंतिम जुताई के समय मिला दें। बुवाई सीडड्रिल से कतारों में करें।

बीज को बुवाई से पहले जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा 10 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से ततपश्चात् स्फुर घोलक जीवाणु और राइजोबियम कल्चर से 10-10 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करके छाया में सुखाने के बाद शीघ्र बोनी कर दें।

 

सिंचाई 

हल्की सिंचाई स्प्रिंकलर से करें जिससे कम पानी में ज्यादा क्षेत्रफल में खेती कर सकते हैं साथ ही दलहनी फसल की बढ़वार एवं फलन भी अच्छा होता है।

बुवाई के 40 दिन बाद हरी मटर की अच्छी पैदावार के लिए स्यूडोमोनास जैविक पौध वर्धक घोल का 2 लीटर प्रति एकड़ से 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें।

यह भी पढ़े : स्प्रिंकलर सेट एवं ड्रिप सिस्टम सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन करें

 

यह भी पढ़े : कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन अब 26 सितम्बर तक

 

शेयर करें