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केंचुआ खाद तैयार करने में जुटे किसान

 

उद्यानिकी विभाग द्वारा विगत दिनों वर्मी कंपोस्ट बनाने के उपक्रम अनुदान के रूप में किसानों को वितरित किए गए थे।

बागली विकासखंड में 32 किसानों को चयनित कर उपकरण बांटे थे। मुश्किल से आधा दर्जन किसान ही इसका सदुपयोग कर रहे हैं। शेष किसानों ने तकनीकी त्रुटि के चलते ये उपकरण कबाड़खाने में पटक दिए।

किसानों की शिकायत रही कि उन्हें उपकरण मिलने के कई दिनों बाद भी केंचुआ नहीं मिल पाया। जब मिला तब तक ये उपकरण कबाड़ बन चुके थे।

 

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बेहरी के किसान गोविंद पाटीदार, हुकम पाटीदार एवं मुकेश पाटीदार स्वयं के खेत पर व्यवस्थित रूप से खाद का चक्र चला रहे हैं।

हालांकि गर्मी के दिनों में पानी की कमी के चलते रिजल्ट उतना अच्छा नहीं निकल पा रहा, फिर भी क्षेत्रीय किसान इसे बनाने पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।

हर दो या तीन दिन में पानी की नमी बनाए रखने के लिए इसकी वैज्ञानिक प्रक्रिया करते हैं। अभी तक प्रत्येक किसान के यहां दो ट्राली तक खाद बन चुका है, जिसकी बाजार कीमत 10 हजार रुपये तक हैं।

 

इसका उपयोग भी किसान करने लग गए हैं और परिणाम के विषय में बता रहे हैं कि साधारण गोबर खाद से इस खाद का उपयोग अधिक लाभ वाला साबित हो रहा है। जमीन कंद फसल वजन में बेहतर बैठ रही है।

क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी राकेश सोलंकी एवं किरण माझी ने बताया कि इनमें नमी का विशेष ध्यान रखा जाए और इन्हें बीज के रूप में बढ़ाते रहें।

जब खाद की आवश्यकता हो उस वक्त ऊपर से खाद अलग निकाल ले और उपयोग करते समय नीचे तक पानी जाने दे और दो या तीन दिन में पूरे उपकरण में हाथ से या पाइप से उथल-पुथल कर दे।

आने वाले दिनों में इसके निरंतर लाभ शुरू हो जाएंगे। प्रतिमाह एक ट्राली खाद का उत्पादन शुरू हो जाएगा, बस सड़े-गले पत्ते एवं अन्य सूखी फसलों का तथा गोबर का उपयोग अच्छी मात्रा में करते रहे।

 

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source : naidunia

 

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