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टेंशन में गेहूं उपजाने वाले किसान, जानें क्यों डरा रहा मार्च का मौसम

गर्मी और बढ़ते तापमान का असर गेहूं के साथ अन्य फसलों एवं बागवानी पर भी पड़ सकता है.

मार्च के महीने में 35 डिग्री के आस-पास तापमान रहा तो किसान हल्की सिंचाई का सहारा ले सकते हैं.

गर्मी का मौसम किसानों की चिंता बढ़ाने लगा है.

 

फसल को भारी नुकसान होगा

फरवरी महीने में ही सूरज की तपिश ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है.

अधिकतम तापमान लगातार 35 डिग्री सेल्सियस के आस-पास पहुंच रहा है.

मौसम विभाग के अनुसार, गर्मी और बढ़ते हुए तापमान का सबसे ज्यादा असर गेहूं की फसल पर नजर आएगा.

गेहूं के दाने समय से पहले पकने शुरू हो जाएंगे, जिससे उसका अकार छोटा होने की उम्मीद है. गर्मी के चलते गेहूं की उपज प्रभावित होगी.

 

अधिक तापमान में फसल को बचाना हो जाएगा मुश्किल

बढ़े हुए तापमान का असर गेहूं के साथ अन्य फसलों एवं बागवानी पर भी पड़ सकता है.

 35 डिग्री के आस-पास तापमान रहा तो किसान हल्की सिंचाई का सहारा ले सकते हैं.

खेतों में नमी बनी रहने के चलते फसल को कम नुकसान होगा.

वहीं, पारा 40 के करीब पहुंचा तो किसानों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी. ऐसे में गेहूं की फसल को भारी नुकसान होगा.

कृषि मंत्रालय ने तापमान में वृद्धि से गेहूं पर पड़ने वाले प्रभाव की निगरानी के लिए समिति का गठन कर दिया है.

 

उपज प्रभावित होने पर बढ़ेगी महंगाई

बता दें कि गेहूं की फसल के दाने मार्च के दूसरे-तीसरे सप्ताह में पकते हैं. फिर इसकी कटाई शुरू हो जाती है.

इस बार बढ़े हुए तापमान के चलते मार्च के पहले हफ्ते में ही गेहूं के दाने पक जाएंगे.

इससे प्रति हेक्टेयर पैदावार 5 से 10 क्विंटल कम होने का अनुमान है. जो तापमान मार्च महीने में रहता था वह फरवरी महीने में ही है.

गेहूं की फसल के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा.

भीषण गर्मी से फसलों को बचाने के लिए सिंचाई करने के साथ ही दवा के छिड़काव की जरूरत पड़ेगी.

इसके बाद भी हमारी उत्पादकता प्रभावित होगी. इसके चलते महंगाई भी बढ़ेगी.

 

फरवरी में नहीं हुई बारिश

IMD के डेटा के मुताबिक, फरवरी महीने में ईस्ट और वेस्ट यूपी, बिहार, राजस्थान, पूर्व और पश्चिमी एमपी में बारिश हुई ही नहीं है. 

पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्‍ली में औसत से 99% कम बारिश दर्ज की गई.

आमतौर पर उत्तर भारत में सर्दी के मौसम में ठीक-ठाक बारिश होती है.

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