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गुलाब की खेती से बढ़ेगी किसानों की आमदनी

 

उन्नत तकनीक

 

गुलाब की व्यावसायिक खेती अत्यधिक लाभदायक हो सकती है, क्योंकि गुलाब के फूलों की मांग बढ़ती जा रही है.

गुलाब के फूलों का इस्तेमाल कटे हुए फूल, गुलदस्ते बनाने, उपहार देने के साथ-साथ गुलाब आधारित उत्पादों जैसे गुलाब जल, गुलकंद, इत्र और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण के लिए किया जाता है.

 

गुलाब की खेती घरेलू स्तर पर गमलों में, घर के पिछवाड़े में, खेतों में, छतों पर या घर के अंदर की जा सकती है.

वैसे तो गुलाब का व्यावसायिक उत्पादन खुली हवा और पॉलीहाउस दोनों में किया जा सकता है, लेकिन अच्छी उच्च गुणवत्ता वाले गुलाब की खेती मुख्य रूप से पॉलीहाउस में की जाती हैं.

जहां पर्यावरण की स्थिति नियंत्रण में होती है. ग्रीन हाउस में अधिक उपज वाले उच्च गुणवत्ता वाले गुलाब प्राप्त होते हैं, इसलिए गुलाब की खेती के लिए ग्रीन हाउस तकनीक काफी अच्छी मानी जाती है.

 

ग्रीन हाउस तकनीक के लिए मुख्य बातें

  • ग्रीन हाउस तकनीक के लिए मध्यम जलवायु वाली जगह का चयन करना चाहिए.
  • सूरज की पर्याप्त रौशनी आती हो.
  • कम बरसात और ज्यादा तेज हवाएं ना चलती हों. इसके अलावा ग्रीन हाउस बनाने के लिए पानी का स्रोत और जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए.
  • तेज हवाओं से गुलाब आसानी से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, इसलिए उन्हें सीधी हवा से बचाने की जरूरत होती है.
  • पौधों को छाया में नहीं उगाना चाहिए.

 

गुलाब की उन्नत किस्में

दुनियाभर में गुलाब की 120 किस्में हैं.

गुलाब की खेती के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण किस्में हैं, जिनसे अधिक मुनाफा मिलता है जैसे रोजा डैमसेना, रोजा फोएटिडा, रोजा चिनेंसिस, रोजा गैलिका हैं.

इसके अलावा गुलाब की दो मुख्य किस्में हैमं, जो गुलाब की खेती के लिए काफी लाभदायक हैं.

इनका नाम पूसा अरुण और पूसा शताब्दी किस्म है. यह किस्में 35 – 40 दिन के अन्दर तैयार हो जाती है.

 

गुलाब में रोग

गुलाब के पौधे में कला धब्बा रोग लगने की सम्भावना रहती हैं.

ऐसे में किसानों को पौधों की समय-समय पोर कटाई करते रहना चाहिए.

इसके अलावा जैविक दवाओं का छिड़काव भी करते रहना चाहिए.

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