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ठंड से बचाने के लिए सब्जी वाली फसलों को पहनाया ‘कोट’

धरमपूरी तहसील के ग्राम धेगदा के किसानो ने सब्जी खेती को लाभ बनाया

धार जिले के किसान उन्नत खेती की ओर अग्रसर हो रहे। इसका उदाहरण जिले के धरमपुरी क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। वह ग्राम धेगदा जैसे छोटे से गांव में किसानों ने सब्जी वाली फसलों को बचाने के लिए एक विशेष पहल की है। इसी के चलते अब वे फसलों को ऐसे कोट Crop Cover पहना रहे हैं। जिससे कि उनकी फसल शीत प्रकोप झेल रही है। न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस होने पर उनकी फसल बर्बाद नहीं होंगी। वहीं किसान अब मंडियों में भरपूर सब्जी ले जाकर अच्छा लाभ कमा रहे।

ग्राम धेगदा और उसके आसपास के 10 गांव के कृषक सहित आसपास के किसानों ने एक ऐसी कोशिश की है, जिससे कि वे अपनी सब्जी वाली फसलों को बचाकर खेती को लाभ का धंधा बना रहे हैं। दरअसल इस तरह की युक्ति उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से मिली।

गणेश पाटीदार सहित अन्य किसानों ने  चर्चा में बताया कि आमतौर पर यह देखने में आया है कि जब शीत का प्रकोप होता है तब काफी नुकसान होता है। खासकर करेला, टमाटर सहित अन्य सब्जी की फसल खराब होती है। जिन्हें हम उद्यानिकी फसलें भी कहते हैं। उन फसलों को काफी नुकसान होता है।

इस तरह की फसलों से किसानों को प्रतिदिन आमदनी मिलती है। क्योंकि किसान मंडी में जाता है और अपनी जरूरत के लिए सब्जी बेचकर अपनी आजीविका चलाता है। ऐसी फसलों को बचाने के लिए हमने एक विशेष युक्ति लगाई है। इसके तहत हम क्रॉप कवर यानी फसलों का कोट पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बहुत ही आसान तरीका है।

 

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ये होता है ‘कोट”

उन्होंने कहा कि जिस तरह से आजकल बाजार में कपड़े की थैली के तौर पर दुकानों पर सामग्री मिलती है। उसी सामग्री से बनी हुई यानी पॉलिप्रोपिलीन की शीट )Crop Cover) से बनी हुई हम एक चादर खरीदते हैं। उसे हम फसलों पर ढंक देते हैं। उन्होंने कहा कि अलग-अलग फसलों पर अलग-अलग स्तर की शीट को ढंकना होता है। जिससे कि उसकी ग्रोथ पर असर नहीं पड़े। उन्होंने बताया कि 1 एकड़ में इसको लगाने के लिए करीब 25 से 30 हजार रुपए तक का खर्च आता है। लेकिन इसका उपयोग हम लगातार तीन साल तक कर सकते हैं।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि ठंड से फसलों को नुकसान नहीं होता है। भले ही तापमान न्यूनतम स्तर पर 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाए। इसके अलावा इसमें आर्द्रता स्तर ठीक रहता है, उसमें हमें किसी तरह के नुकसान की संभावना नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि इसे मुख्य रूप से हम क्रॉप कवर कहते हैं। उस क्रॉप कवर को पहनाने के बाद में हमें 30 दिन तक विशेष रूप से यह लाभ मिलता है कि कीटनाशक का भी छिड़काव नहीं करना होता है।

इसके लिए हमें बाजार से कुछ सामग्री खरीदना होती है। उसके बाद में क्रॉप कवर यानी कोट को पहनाने के बाद में हम आसानी से अपनी फसलों को बहुत ही भीषण सर्दी वाले समय में बचा सकते हैं। जिससे कि मंडी में जल्द ही सब्जी पहुंचने के कारण अच्छे दाम भी मिलते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह से धेगदा सहित अन्य क्षेत्र के किसानों ने फसल को कोट पहनाकर एक आमदनी का जरिया निकाल लिया है।

 

 

कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ किराड़ ने अवलोकन किया

kisan vigyan kendra dr ks kirad

इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने अवलोकन किया। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. केएस किराड़ ने बताया कि यह एक अच्छी व्यवस्था है। जिसके तहत टमाटर से लेकर ककड़ी और अन्य ऐसी सब्जी वाली फसलें जिनमें नुकसान होने की स्थिति बनती है, उनके लिए यह कोट (Crop Cover) अपने आप में बेहतर है। उन्होंने कहा कि कवर लग जाने से कई फायदे होते हैं।

किसानों ने इसको अपनाया है और लगातार तीन साल तक कवर का इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही वातावरण के लिए नुकसानदायक भी नहीं। लेकिन उन्होंने यह बात भी कहा कि इसके लिए विशेष रूप से किसानों को सावधानी रखना होगी। 30 दिन तक इसको लगाकर रखना चाहिए। इसके बाद में मौसम की अनुकूलता के हिसाब से से हटाना भी चाहिए।

Crop Cover Video

खासकर जब फसलों में फूल लगने लगे, तब उसको निकालना भी चाहिए। जिले में अब तक करीब 25 हेक्टेयर में इस तरह की कोशिश की जा चुकी है। जो अपने आप में महत्वपूर्ण हैं। हम चाहते हैं कि इस तरह की युक्ति अन्य किसान भी अपने-अपने क्षेत्र में लगाए।

उन्होंने कहा कि हमने गणेश मुकाती, विक्रम भाई, पंकज जायसवाल, गणेश, रामकृष्ण सहित अन्य कई किसानों के यहां पर इसका अवलोकन किया है। उसकी सफलता को देखा है। अलग-अलग सब्जी वर्गीय फसलों के लिए अलग-अलग कवर बनाने की स्थिति होती है। कहीं-कहीं जिक जैक प्रणाली से पहनाया जाता तो कहीं टेंट प्रणाली से बनाया जाता है। कुछ स्थानों पर यदि केले पपीता पर लगाना है तो इसको काट कर लगाया जा सकता है। इस तरह से यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में यह और भी लोग अपनाएंगे। किसानों को इस दिशा में भी ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि उद्यानिकी फसलों में वे प्रतिदिन आमदनी प्राप्त करते हैं। साथ ही यदि समय से पहले यानी कि सीजन से पहले सब्जी बाजार में पहुंचती है तो उसका दाम अधिक मिलता है।

source: Naidunia

 

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