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गेहूं एवं जौ की भरपूर पैदावार के लिए किसान इस सप्ताह करें यह काम

किसान कम लागत में गेहूं की भरपूर पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए समय-समय पर कृषि विश्वविद्यालयों, वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए सलाह जारी की जाती है।

जिसे अपनाकर किसान न केवल गेहूं की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं बल्कि लागत कम कर अपनी आमदनी में भी वृद्धि कर सकते हैं।

इस कड़ी में गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा गेहूं की खेती कर रहे किसानों के लिए साप्ताहिक सलाह जारी की गई है।

 

जौ एवं गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह

सलाह में बताया गया है कि मौसम विभाग IMD के द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार 14 मार्च से कई स्थानों पर बादल छाए रहने के साथ ही आंधी-बारिश होने की संभावना है।

जिसे देखते हुए ही किसान अपने गेहूं के खेतों में सिंचाई एवं अन्य कार्य करें।

 

कैसा रहेगा गेहूं की खेती के लिए मौसम

जारी सलाह में कहा गया है कि उत्तर भारत के अधिकांश स्थानों पर आने वाले सप्ताह में अधिकतम तापमान 27.4 से 34.9 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 13.0 से 17.7 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है, जो गेहूं और जौ की फसल के लिए अनुकूल है।

इसके अलावा आने वाले सप्ताह में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे कई गेहूं उत्पादक राज्यों के जिलों में बादल छाए रहने के साथ हाई हल्की से भारी बारिश हो सकती है।

 

किसान कब करें गेहूं में सिंचाई

किसानों को मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए गेहूं की फसल में सिंचाई करना चाहिए।

यदि मौसम विभाग द्वारा आपके क्षेत्र में बारिश की संभावना व्यक्त की गई है तो किसान सिंचाई देरी से कर सकते हैं।

किसानों को सलाह दी गई है कि वे आवश्यकता के अनुसार ही हल्की सिंचाई करें।

तेज हवा की स्थिति में, फसल को गिरने से बचाने के लिए सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।

 

अभी गेहूं की फसल में लग सकते हैं यह कीट एवं रोग

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा जारी साप्ताहिक परामर्श में बताया गया है कि अभी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में गेहूं और जौ में भूरा रतुआ और इसी तरह जम्मू, हिमाचल प्रदेश व पहाड़ियों क्षेत्र पाउडरी मिल्डयू की सम्भावना है।

इसलिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे खेतों में विशेष रूप से छाँव में कड़ी निगरानी रखें।

यदि इन रोगों का संक्रमण दिखाई देता है, तो किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अनुशंसित कवकनाशी प्रोपीकोनाजोल का 0.1 प्रतिशत की दर से छिड़काव करें।

वहीं किसान गेहूं में लीफ़ एफ़िड (चेपा) पर लगातार नज़र रखें।

यदि लीफ़ एफिडस की संख्या आर्थिक क्षति के स्तर (ई.टी.एल. 10-15 एफिडस/ मार ) से अधिक हो जाती है, तो क्विनलफ़ॉस 25% ईसी 400 मिली को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।

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