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किसान हरे चारे की लिए लगाएं ज्वार की यह उन्नत किस्में

 

ज्वार की उन्नत किस्में

 

पशुओं में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को गुणवत्तापूर्ण, अधिक उपज देने वाली चारा फसलें एवं उनकी उन्नत किस्मों के विषय में जानकारी का होना आवश्यक है।

समय पर गुणवत्तापूर्ण हरे चारे की आपूर्ति में आभाव के कारण पशुओं को सामान्यत: फसलों के सूखे अवशेषों पर निर्भर रहना पड़ता है।

इसका सीधा प्रभाव पशुओं की स्वास्थ्य दशा, शारीरिक वृद्धि प्रजनन क्षमता एवं उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता पर देखा जा सकता है।

किसान हरे चारे के रूप ज्वार की उन्नत किस्मों की खेती कर पशुओं के लिए अधिक हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं।

 

ज्वार देश में उगाई जाने वाली मुख्य चारा फसलों में से एक है, जो हरा चारा, कड़बी एवं साइलेज तीनों ही रूपों में पशुओं के लिए उपयोगी है |

इसमें शुष्क पदार्थ के आधार पर औसतन 9-10 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन, 60-65 प्रतिशत न्यूट्रल डिटर्जेंट फाइबर एवं 37-42 प्रतिशत एसिड डिटर्जेंट फाइबर पाया जाता है।

किसान ज्वार के हरे चारे के रूप में नीचे दी गई उन्नत किस्मों का चयन कर उसकी खेती कर सकते हैं।

 

हरे चारे के लिए ज्वार की उन्नत एवं विकसित किस्में

हरे चारे के लिए ज्वार कि विभिन्न किस्में हैं। इसमें से कुछ किस्में पुरे देश के लिए हैं तो कुछ किस्में देश के चिन्हित राज्यों के लिए हैं।

ज्वार का उत्पादन हरे चारे में होने के कारण इसके किस्मों का चुनाव एक से अधिक कटाई वाले ज्वार के लिए करना चाहिए।

 

किस्में राज्य/क्षेत्र  हरे चारे की उपज (टन/हैक्टेयर)
सी.एस.वी. – 32 एफ. संपूर्ण भारत 45–46
एच.जे. – 513 उत्तर-पश्चिम भारत 40–43
हरियाणा चरी – 308 संपूर्ण भारत 40–44
एस.एल. – 44 पंजाब 45–50
ज्वार चरी – 6 मध्य प्रदेश 65–70
पूसा चरी संकर – 109 उत्तर–पश्चिम भारत 80–82
राजस्थान चरी – 1 संपूर्ण भारत 40–45
पूसा चरी – 9 संपूर्ण भारत 40–42
एम.एफ.एस.एच. – 3 संपूर्ण भारत 60–65
पंत चरी – 4 संपूर्ण भारत 45–47

 

एक से अधिक कटाई वाली किस्में

किस्में राज्य/क्षेत्र हरे चारे की उपज (टन/हैक्टेयर)
सी.एस.एच. – 24 संपूर्ण भारत 90-95
सी.एस.एच. – 20 संपूर्ण भारत 90–95
सी.ओ. – 29 संपूर्ण भारत 100–150
एस.पी.एच. – 1700 मध्य भारत 100–105
एस.पी.एच. – 1768 मध्य भारत 100–105
एस.पी.वी. – 2244 मध्य भारत 90–120
पी.सी.एच. – 109 उत्तर भारत 80–82
मीठी सूडान उत्तर भारत 70–75
एस.एस.जी. – 988 संपूर्ण भारत 70–100
सी.ओ.एफ.एस. – 29 सिंचित क्षेत्र 120–130
सी.एस.वी. – 35 एम.एफ. गुजरात 100–104

 

ज्वार की बुआई कब और कैसे करें ?

ज्वार की खेती अलग–अलग राज्यों में अलग–अलग समय पर की जाती है।

इसका उपयोग हरे चारे के रूप में होने के कारण देश के सभी राज्यों में खेती की जाती है।

उत्तर भारत में इसकी बुवाई के लिए मई–जून का समय सबसे अनुकूल पाया गया है वहीँ दक्षिण भारत में इसे रबी एवं खरीफ दोनों ऋतुओं में बोया जाता है।

किसान हरे चारे के रूप में इसका उपयोग करने के लिए 30-40 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से इसके बीज की बुआई कर सकते हैं।

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