मूंग की फसल में कीट और इल्ली के नियंत्रण के लिए किसान करें इन दवाओं का छिड़काव

अभी गर्मी में लगाई गई मूंग की फसल में कई जगहों पर माहू, जैसिड, थ्रिप्स एवं फल मक्खी कीट एवं इल्लियों का प्रकोप देखा जा रहा है।

जिसको देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने इन कीट और इल्लियों के नियंत्रण के लिए सलाह जारी की है।

अधिकांश स्थानों पर गर्मी में लगाई जाने वाली मूंग की फसल की बुआई का काम पूरा हो चुका है।

ऐसे में किसान मूंग की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए फसल को विभिन्न कीट एवं इल्लियों से बचाने की आवश्यकता है।

इस कड़ी में सीहोर जिले के कृषि विभाग के अनुसार इस समय कई स्थानों पर मूंग की फसल में रसचूसक कीट माहू, जैसिड व फल मक्खी का प्रकोप देखा जा रहा है।

जिसको देखते हुए जिले के कृषि वैज्ञानिकों ने इन कीटों के नियंत्रण के लिए किसानों को अनुशंसित कीटनाशक दवाओं के छिड़काव करने की सलाह दी है।

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार शिशु व वयस्क माहू नए पौधे, पत्तियों, फलों व फलियों पर समूह में एकत्र होकर रस चूसते हैं। इससे नई पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं। शरीर से मधु स्त्राव छोड़ते हैं, जिससे पत्तियों पर काली फफूंद लग जाती है।

जैसिड शिशु व वयस्क कीट पत्तियों की निचली सतह से रस चूसने लग जाती है, जिससे पत्तियों के किनारे पीले-तकनुमा हो जाते हैं।

वहीं थ्रिप्स ऊपर की पत्तियों फूलों व फलियों को खाती हैं, जिससे पौधे छोटे रह जाते हैं। फलियों का बनना व विकास रुक जाता है।

सफेद मक्खी फसल की शुरुआती अवस्था में इनका प्रकोप होता है। शिशु व वयस्क निचली सतह से पत्तियों का रस चूसते हैं।

सफेद मक्खी पीला मोजेक वायरस की प्रमुख वाहक और फसल क्षति का मुख्य कारक है।

 

किसान इनमें से करें किसी एक दवा का छिड़काव

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार रस चूसक कीट माहू, जैसिड, थ्रिप्स व फल मक्खी पर नियंत्रण के लिए किसान थायोमिथाक्जाम 25  डब्ल्यू.जी. या एसिटामिप्रिड 20 एस.पी. या थायोमिथाक्जाम + लेम्डासाइलोथ्रिन की मात्रा 125 ग्राम प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल + इमिडाक्लोप्रिड की मात्रा 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर में से किसी एक दवा का छिड़काव करें।

साथ ही किसान इस बात का ध्यान रखें कि रसचूसक कीट नियंत्रण के लिए दूसरा छिड़काव दवा को बदल कर करें।

वहीं चने की इल्ली फली में गोलाकार छेद बनाकर सिर अंदर डालकर नुकसान पहुंचाती है। शुरुआती अवस्था में पत्तियों को काटती है।

मारुका इल्ली कलिकाओं, फूलों एवं फलियों में छेद करती है।

चने की इल्ली व मारुका इल्ली पर शुरुआती अवस्था में नियंत्रण करने के लिए किसान इण्डोक्साकार्ब की मात्रा 350 मिली प्रति हेक्टेयर या क्लोरेंट्रानिलीप्रोल 150 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

वहीं बाद की अवस्था में नियंत्रण के लिए किसान नोवाल्यूरॉन + इण्डोक्साकार्ब दवा की 850 मिली या क्लोरेंट्रानिलीप्रोल + लेम्डासाइलोथ्रिन दवा की मात्रा 200 मिली या इमाबैक्टिन + लूफीन्यूरॉन दवा की मात्रा 75 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

खेत में कीटनाशक एवं फफूंद नाशक दवाओं का छिड़काव सुबह 10 बजे या शाम को 4 बजे के बाद करना चाहिए।

 

मूंग में खरपतवार दवाओं का नियंत्रण

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण बुआई के 15 से 20 दिन बाद करना आवश्यक है।

किसान रासायनिक दवाओं से खरपतवार के नियंत्रण के लिए खरपतवार नाशक इमेजेथपायर दवा की मात्रा 2 लीटर या इमेजेथपायर + इमिझामोक्स दवा की मात्रा 100 मिली या सोडियम एसिफ्लोरफेन + क्लोडिनोफॉफ दवा की मात्रा 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से किसी एक दवा का छिड़काव 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

किसान इन दवाओं का छिड़काव सुबह 10 बजे या शाम को 4 बजे के बाद करें।

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