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मिश्रित मछली पालन से किसान कर सकेंगे दोहरी कमाई

मछली पालन भारत में कृषि से जुड़ा हुआ एक बड़ा व्यवसाय है.

जिसके चलते इसका व्यवसाय करने वाले किसान बड़ा मुनाफा भी कमाते हैं.

आज हम आपको मछली पालन की नई तकनीक की जानकारी देंगे.

 

मिलेगा मोटा मुनाफा

किसान आज के समय में पारम्परिक खेती को छोड़ नई और ज्यादा मुनाफा देने वाली तकनीक को चुनना ज्यादा पसंद करते हैं.

आज हम आपको बताएंगे कि किसान कैसे खेती के साथ मछली पालन करके साल में लाखों की कमाई कर सकते हैं.

इस कृषि व्यवसाय के साथ किसान अपनी परम्परागत खेती वाली फसलों को तो कर ही सकते हैं साथ ही मछली पालन कर अपने लिए कमाई का एक नया माध्यम भी बना सकते हैं.

इस विधि को किसान मिश्रित मछली पालन भी कहते हैं.

मछली पालन की नवीनतम तकनीक का प्रयोग करके किसान 5 गुना मछली उत्पादन कर सकते हैं.

तो चलिए इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानते हैं.

 

क्या है मिश्रित मछलीपालन

मिश्रित मछलीपालन वह तकनीक है जिसमें अलग-अलग प्रकार की मछलियां पाली जाती हैं,

बस ध्यान इस बात का रखना होता है कि चुनी गई मछलियां तालाब में उपलब्ध भोजन और जल क्षेत्र में आसानी से निर्वाह कर सकें.

 

क्या है प्रक्रिया

मछली पालन में कॉर्प मछली और कैटफिश को एक साथ पालते हैं.

शार्प मछली में रोहू कतला, बिग हेड और ब्रदर मछली आती है.

वहीं मृगल मछली का पालन कैटफिश प्रजाति के अंतर्गत किया जाता है.

 

कैसा हो तालाब

मछलीपालन के लिए जिस तालाब का चयन किया जाए, उसमें पानी के प्रवेश पर निकास की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए ताकि बारिश के मौसम में तालाब को और मछलियों को कोई नुकसान ना पहुंचे.

जिस तालाब में आप मिश्रित मछली पालन शुरू करना चाहते हैं, उसके सभी बांध मजबूत और पानी के प्रवेश एवं निकास का रास्ता सुरक्षित होना चाहिए ताकि बारिश के मौसम में तालाब को नुकसान नहीं पहुंचे.

वहीं तालाब में पानी के आने-जाने का रास्ता इस प्रकार से हो कि बाहरी मछलियों का प्रवेश तालाब में न हो पाए और न ही तालाब की संचित मछलियां बाहर जा सके.

 

मिश्रित मत्स्य पालन के लिए उत्तम प्रजातियां

भारतीय मछलियों में कतला, रोहू तथा मृगल और विदेशी कार्प मछलियों में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और कॉमन कार्प को एक साथ संचयन किया जाना अधिक लाभकारी है.

जिन मछलियों का हम चयन कर रहे हैं उनके संबंध में हमें ध्यान रखना चाहिए कि उनकी रूचि अलग – अलग हो ताकि तालाब में उपलब्ध सारा खाद्य पदार्थ उपयोग में आ सके.

मछलियों को 20000 प्रति हेक्टेयर की दर से तालाब में डाला जाता है.

 

किस अनुपात में करें मछलियों के बीजों का संचयन
  • कतला मछली – 10% अनुपात में, बीज संख्या – 2,000
  • राहु मछली – 25% अनुपात में, बीज संख्या – 5000
  • मिरगल मछली – 10 % अनुपात में, बीज संख्या – 2000
  • कॉमन कॉर्प – 20% अनुपात में, बीज संख्या – 4000
  • ग्रास कॉर्प – 10% अनुपात में, बीज संख्या -2000
  • सिल्वर कॉर्प – 25% अनुपात में, बीज संख्या – 5000

मिश्रित मछली पालन के जरिए एक तालाब में 1 साल में दो बार उत्पादन लिया जा सकता है.

लगभग 1 एकड़ में मछली पालन के माध्यम से 16 से 20 साल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है और ऐसा करके 1 साल में 5 से 8 लाख तक की कमाई की जा सकती है.

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