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किसानों को सिंघाड़ा की खेती करने पर सरकार से मिलेगी सब्सिडी

 

सहायता के तौर पर मिलेगा अनुदान

 

केंद्र और राज्य सरकार की ओर किसानों की आय बढ़ाने प्रयास किए जा रहे हैं।

इसी क्रम में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से अन्य फसलों की तरह ही अब सिंघाड़े की खेती के लिए किसानों को बतौर सहायता सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा।

यह निर्णय उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह ने मंत्रालय में आयोजित बैठक में लिया।

बैठक में कहा गया कि प्रदेश में सिंघाड़ा खेती करने वाले उद्यानिकी किसानों को आर्थिक सहायता के तौर पर अनुदान दिया जाएगा।

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक खेती करने वाले किसानों से सुझाव लिए जाएंगे। 

 

जिला स्तर पर गठित की जाएंगी बागवानी सलाहकार समितियां

उन्होंने कहा कि उद्यानिकी क्षेत्र को विस्तार देने और किसानों के अनुकूल विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर जिला बागवानी सलाहकार समितियां गठित की जाएंगी।

समितियों में संबंधित जिले के किसान सदस्य रहेंगे। कुशवाह ने कहा कि जैविक उद्यानिकी खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के सुझाव के आधार पर कार्यक्रम तय किया जाएगा।

किसानों से सुझाव प्राप्त करने अगले माह जैविक कृषक सम्मेलन आयोजित करेंगे।

सम्मेलन में प्रदेश के सभी जिले से जैविक खेती करने वाले उद्यानिकी कृषकों को आमंत्रित किया जाएगा।

 

जिले में कितने हेक्टेयर में होती है सिंघाड़े की खेती

सहायक मत्स्य अधिकारी अनिल श्रीवास्तव तालाबों के अनुसार सतना जिले के अमरपाटन, सोहावल, ऊंचेहरा और मैहर की तालाबों में सिंघाड़ा की खेती होती हैं।

ये तालाब मछलियों के लिए हैं लेकिन किसान सिंघाड़े भी लगाते हैं।

जिले में तालाबों की संख्या 1738 है जिनका जल विस्तार क्षेत्र 6957.992 हेक्टेयर है।

 

ऐसे होती है सिंघाड़े की खेती

सिंघाड़े की बुवाई बरसात शुरू होते ही जुलाई से लेकर अगस्त के पहले सप्ताह की तक किया जाता है।

बाकी फसलों के मुकाबले सिंघाड़े की नर्सरी बाहर कहीं उपलब्ध नहीं होती है।ऐसे में गांव के कुछ सिंघाड़े की फसल के विशेषज्ञ लोग ही उसे तैयार करते हैं।

मई और जून के महीने में ही गांव के छोटे तालाब, पोखरों और गड्ढों में इसका बीज बोया जाता है, इसे बाद एक महीने में बेल के रूप में इसका पौधा तैयार किया जाता है।

जिसको निकालकर तालाब और तालों में इसे डाला जाता और यह बेल के रूप में तालाब की सतह में फैल जाती है।

जुलाई के प्रथम सप्ताह में पौध तैयार होती है। इसके बाद इसे तैयार करने के दौरान डीएपी व जैविक खाद डालनी पड़ती है।

कीटनाशक दवाओं का भी प्रयोग करते हैं। अक्टूबर महीने में फसल तैयार होनी शुरू हो जाती है।

इसके बाद सिंघाड़े की तुड़ाई की जाती है। करीब तीन से चार महीने में फसल तैयार होती है।

 

कितना आता है सिंघाड़े की खेती में खर्चा

एक एकड़ तालाब में करीब तीन हजार रुपए कीमत की पौध डालनी पड़ती है। किसान सुभाष चंद्र्र बताते हैं कि एक एकड़ में करीब 40 हजार रुपए तक कुल लागत आती है।

इसमें सिंघाड़ा का उत्पादन करीब 40 क्विंटल तक होता है जो 60 से 70 हजार रुपए तक में बिक जाता है।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार अत्याधुनिक प्रजाति विकसित करें व बीज अनुदान पर दें और तालाबों में पानी भराने की सुविधा मुहैया कराए तो सिंघाड़े उगाने वालों के जीवन स्तर में भी सुधार आ सकता है।

 

खेत में भी उगा सकते हैं सिंघाड़े

ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि सिंघाड़ा की खेती केवल तालाब में हो सकती है लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है।

इसे खेत में भी उगाया जा सकता है। लेकिन इसका तरीका थोड़ा अलग होता है।

इसके लिए खेत में जून से लेकर जनवरी तक 60-120 सेंटीमीटर तक पानी भरना होता है।

बरसात से पहले बुवाई की जाती है और बारिश में सिंघाड़े की फसल बहुत तेजी से बड़ी होती है।

 

सिंघाड़ा की खेती से लाभ

सिंघाड़े की खेती की खास बात ये हैं कि इसकी फसल साल के 12 महीने तक ली जा सकती है।

क्योंकि सिंघाड़े का आटा व्रत एवं उपवास में उपयोग किया जाता है इसलिए इस के अच्छे दाम मिलते हैं।

सूखे सिंघाड़े की कीमत 120 रुपए किलो तक होती है। उत्तर प्रदेश और बिहार में इसकी सबसे ज्यादा कीमत मिलती है।

 

तालाब के पास बगीचा और तार फेंसिंग के लिए भी मिलेगी सब्सिडी

राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने कहा कि उद्यानिकी किसानों की मांग के अनुसार उन्नत किस्म के बीज और पौधे विभाग उपलब्ध करवाएगा।

उन्होंने कहा कि किसानों की मांग के अनुरूप विशेष रूप से अमरूद की वीएनआर बर्फ खाना, पिंक ताईवान आदि किस्मों के पौधे विभाग द्वारा उद्यानिकी किसानों को उपलब्ध करवाएं जाएंगे। यानी कि यदि तालाब के पास कुछ खाली जमीन है तो आप एक बगीचा भी बना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि उद्यानिकी फसलों को आवारा मवेशियों और जंगली जानवरों से सुरक्षित रखने के लिए खेत की तार-फेंसिंग के लिए अनुदान देने की योजना शुरू की जाएगी।

source : tractorjunction

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