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वर्षा से हुए फसल नुकसान का मुआवजा देने के लिए सरकार ने 15 अक्टूबर तक मांगी गिरदावरी रिपोर्ट

 

बारिश से फसल नुकसान का मुआवजा

 

सितम्बर माह में देश के अलग–अलग राज्यों में हुई भारी वर्षा के कारण किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है|

देश के कुछ जिलों तथा प्रखंडों में किसानों की फसल को 70 से 100 प्रतिशत तक की क्षति हुई है|

फसल पकते समय हुई इस वर्षा से फसलों को काफी नुकसान हुआ है|

फसलों को हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए हरियाणा सरकार ने विशेष गिरदवारी कर किसानों को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं|

 

हरियाणा सरकार ने प्रदेश में 5 सितम्बर 2021 से लेकर अब तक हुई भारी वर्षा और सेम के कारण कपास एवं मूंग की फसलों को हुए नुकसान को आंकने के लिए विशेष गिरदावरी करवाने और उसकी रिपोर्ट 15 अक्टूबर 2021 तक भेजने के निर्देश दिए हैं ताकि गिरदावरी के बाद किसानों को समय पर मुआवजा दिया जा सके।

 

इन जिलों में की जाएगी विशेष गिरदावरी

हरियाणा के राजस्व विभाग को हरियाणा सरकार ने गिरदावरी कराने का निर्देश दिया है|

मूंग की फसल के लिए राज्य के सभी जिलों में गिरदावरी की जाएगी तथा कपास की फसल के लिए राज्य के पंचकूला, अम्बाला, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर को छोड़कर शेष सभी जिलों में विशेष गिरदावरी की रिपोर्ट तैयार की जाएगी|

 

कितना फसल नुकसान होने पर दिया जायेगा मुआवजा

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस विशेष गिरदावरी के तहत उन क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, जहां कपास और मूंग की फसलों का खराबा 25 प्रतिशत या इससे अधिक है।

सरकार ने मुआवजा वितरण के लिए फसल नुकसानी का वर्ग बनाया है, जो 4 प्रकार के है|

फसल नुकसानी का आकलन 25 से 33 प्रतिशत, 33 से 50 प्रतिशत, 50 से 75 प्रतिशत और 75 से शत-प्रतिशत की श्रेणी में फसल नुकसानी को शामिल किया गया है|

 

अभी इन किसानों को दिया जायेगा मुआवजा

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना या किसी अन्य फसल बीमा योजना के तहत कवर खराबा क्षेत्र को इस विशेष गिरदावरी में शामिल नहीं किया जाएगा।

सभी उपायुक्तों को विशेष गिरदावरी के उपरांत प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के लाभानुभोगी का नाम हटाकर खराबा रिपोर्ट अपने मंडल आयुक्त के माध्यम से 15 अक्तूबर, 2021 तक भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

 

फसल क्षति का डेटाबेस तैयार करने के लिए एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन विकसित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसे मामलों को गलती से मुआवजा न मिले जहां किसानों ने फसल बीमा के लिए आवेदन किया हुआ है।

इसके लिए तहसील स्तर पर हैरिस और वैब हलरिस में डेटा प्रविष्टिïयां की जा रही हैं।

यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ऐसे किसानों को फसलों का मुआवजा न अदा किया जाए जिन्होंने फसल बीमा के लिए पहले ही आवेदन और पंजीकरण करवा रखा है।

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