रबी सीजन में डीएपी खाद की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है, जिसके चलते किसानों को डीएपी खाद मिलने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में भारत सरकार के उर्वरक विभाग ने कई चुनौतियों के बावजूद राज्यों को डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) खाद की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
सरकार के मुताबिक प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भारत को कम निर्यात तथा लाल सागर संकट जैसी मौजूदा भू-राजनीतिक परस्थितियों के कारण इस वर्ष डीएपी की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
डीएपी खाद
सरकार के मुताबिक राज्यों की माँग को पूरा करने के लिए भारत डीएपी के आयात पर निर्भर है।
वर्तमान में डीएपी की लगभग 60 प्रतिशत उपलब्धता आयातित आपूर्ति से पूरी होती है।
इसके अलावा, घरेलू उत्पादन भी कच्चे माल के आयात पर निर्भर करता है।
लाल सागर संकट के कारण फॉस्फोरिक एसिड सहित जहाजों को ‘केप ऑफ गुड होप’ के रास्ते से गुजरना पड़ा, जिसके कारण यात्रा का समय लंबा हो गया और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हुआ।
रबी सीजन में बंदरगाहों पर पहुंचा 17 लाख टन डीएपी
रसायन एवं उर्वरक विभाग के अनुसार इस रबी सीजन 2024-25 में विभिन्न बंदरगाहों पर 17 लाख टन से अधिक डीएपी पहुंचा और अक्टूबर और नवंबर 2024 में राज्यों को भेजा गया।
इसके अलावा लगभग 6.50 लाख टन घरेलू उत्पादन राज्यों को उपलब्ध कराया गया।
अक्टूबर और नवंबर 2024 में राज्यों को आपूर्ति की गई आयातित और घरेलू डीएपी खाद, अब तक राज्यों में उपलब्ध बफर स्टॉक को छोड़कर लगभग 23 लाख टन हो गई है।
विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों ने पिछले रबी सीजन की तुलना में 5 लाख टन अधिक विभिन्न ग्रेड के एनपीकेएस का उपयोग किया है।
पूरे देश में पिछले रबी सीजन की तुलना में 10 लाख टन अधिक एनपीकेएस की खपत की है।
सरकार के अथक प्रयासों के फलस्वरूप वर्तमान रबी सीजन के दौरान अब तक कुल 34.81 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 55.14 लाख मीट्रिक टन एनपीकेएस उपलब्ध कराई जा चुकी है।
स्थानीय स्तर पर उपलब्धता और शीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्यों, रेलवे और उर्वरक कंपनियों के साथ मिलकर सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
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