हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

सरकार देगी करोड़ों रुपए की सब्सिडी और बेहतर रोजगार

 

अब खोलिए अपना माइक्रो फ़ूड प्रोसेसिंग उद्योग

 

देश में किसानी को तेज़ी से बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम माइक्रो फूड इंडस्ट्री अपग्रेडेशन स्कीम की शुरुआत कर ऐतिहासिक कदम उठाया है.

इस योजना में ग्वालियर, मुरैना और सीहोर के इन्क्यूबेशन सेंटर निश्चित रूप से माइलस्टोन साबित होंगे.

इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने में एक नई क्रांति की शुरूआत होने वाली है.

इस योजना का मुख्य उद्देश्य ‘एक जिला एक उत्पादन’ के तहत छोटे उद्योगों और गतिविधियों के विकास को बढ़ावा देना है.

आम, आलू, टमाटर आदि बागवानी फसलें बहुत जल्दी खराब हो जाती हैं. इनके रख-रखाव, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग और मार्केटिंग की योजना में विशेष व्यवस्था है.

 

शुद्ध चीज़ों से लेकर रोजगार तक के मिलेंगे अवसर

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संतरा, धनिया और लहसुन के उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में पहले नंबर पर है.

वहीं अदरक, मिर्च, अमरूद, मटर और प्याज के उत्पादन में राज्य का देश में दूसरा स्थान है. इसके अलावा उनका कहना है कि अगर किसान इस उत्पादन की छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां खोलेंगे, तो जनता को शुद्ध सामग्री मिलेगी, युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे और किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सकेगा.

 

किसानों के लिए शुरू होंगी वर्कशॉप्स

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में खाद्य प्रसंस्करण की पद्धति पर कार्यशाला आयोजित करने की आवश्यकता है.

किसानों को पैकेजिंग, विपणन के साथ उनके उत्पाद की ब्रांडिंग और उनकी प्रक्रियाओं के बारे में सूचित करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए.

2.5 करोड़ तक की मिलेगी सब्सिडी

पीएम सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत किसानों को 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी.

बता दें कि इस सब्सिडी का 40 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी.

वहीं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विस्तार के लिए राज्य सरकार बड़ी इकाइयों की स्थापना के लिए 2.5 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी देगी.

 

चौहान ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में राज्य ने कृषि के क्षेत्र में गजब का विकास किया है. आज मध्य प्रदेश में पंजाब से ज्यादा गेहूं पैदा होता है.

इसके अलावा राज्य सरकार फसलों के उत्पादन के साथ-साथ बागवानी को बढ़ावा देकर किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने की दिशा में काम कर रही है.

वहीं फलों, फूलों, सब्जियों, दवाओं और कृषि-वानिकी की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.

 

बागवानी फसलें अब नहीं होंगी खराब

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि राज्य में बागवानी का रकबा 15 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है.

प्रदेश में फलों, सब्जियों, मसालों आदि की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है.

इन उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए एक प्रणाली होने से निश्चित रूप से किसानों की आय में वृद्धि मिल सकेगी.

 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि “देश में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में करीब 25 लाख इकाइयां कार्यरत हैं.

इनमें से लगभग 66 प्रतिशत इकाइयां ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और लगभग 80 प्रतिशत उद्यम परिवार आधारित हैं.

ये उद्यम ग्रामीण घरेलू आजीविका को बढ़ाने और ग्रामीणों के शहरी क्षेत्रों में प्रवास को कम करने में सहायक हैं.

इसलिए आधुनिक तकनीक की उपलब्धता, ग्राम स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण के लिए उपकरण, प्रशिक्षण, उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण के संबंध में जानकारी और पैकेजिंग, ब्रांडिंग और सामग्री के विपणन के संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण की आवश्यकता है.

सही मार्गदर्शन देकर युवाओं को सशक्त बनाने की जरूरत है”.

 

फूड प्रोसेसिंग लेबोरेटरी की भी होगी व्यवस्था

भारत सरकार द्वारा सीहोर, मुरैना एवं ग्वालियर में तीन इन्क्यूबेशन केन्द्रों की स्थापना के लिए 9 करोड़ 87 लाख 85 हजार प्रदान की गई है.

वहीं अमरूद, फल और सब्जियों के प्रसंस्करण के लिए सीहोर में एक ऊष्मायन केंद्र स्थापित किया जा रहा है.

इसके अतिरिक्त केंद्र में फूड प्रोसेसिंग लैबोरेटरी के साथ जूस, पल्प, जैम, जेली, वेजिटेबल डिहाइड्रेशन लाइन और प्याज प्रोसेसिंग लाइन की स्थापना की जाएगी.

मुरैना में सरसों एवं अन्य तिलहनों, ज्वार, बाजरा, रागी एवं बेकरी उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए कॉमन इन्क्यूबेशन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

ग्वालियर में आलू एवं आलू प्रसंस्करण लाइन तथा बाजरा आधारित कुकीज लाइन की स्थापना की जा रही है.

source

यह भी पढ़े : गेहूं उपार्जन के लिये पांच फरवरी से किसान पंजीयन

 

यह भी पढ़े : केसीसी बनवाने में आ रही है परेशानी तो यहां करें शिकायत

 

शेयर करे