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सरकार ने इथेनॉल के लिए चीनी का उपयोग करने वाली मिलों के लिए प्रोत्साहन की घोषणा की

 

रिलीज कोटा दोगुना

 

देश में चीनी की मांग-आपूर्ति की स्थिति को बनाए रखने, चीनी की पूर्व-मिल कीमतों को स्थिर करने और घरेलू खपत के लिए पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार जून 2018 से मिल-वार मासिक चीनी कोटा तय कर रही है.

 

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को चीनी मिलों को इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने का उपयोग को बढ़ावा देने को लेकर प्रोत्साहन की घोषणा की.

इसके तहत इस महीने से इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने का हस्तांतरण करने वाली चीनी मिलों को उनके नियमित कोटे के अलावा मासिक घरेलू बिक्री के लिए हस्तांतरित गन्ने की मात्रा के बराबर चीनी कोटा का आवंटन किया जाएगा.

 

दो गुना की बढ़ोतरी

देश में चीनी की मांग-आपूर्ति की स्थिति को बनाए रखने, चीनी की पूर्व-मिल कीमतों को स्थिर करने और घरेलू खपत के लिए पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार जून 2018 से मिल-वार मासिक चीनी कोटा तय कर रही है.

चीनी का कोटा उनके पास मौजूद स्टॉक, निर्यात प्रदर्शन और चीनी के इथेनॉल में बदलने के आधार पर तय किया जाता है.

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘बी-हेवी मोलेसेज’ /गन्ना के रस/चीनी सिरप/चीनी से इथेनॉल के उत्पादन के लिए उपयोग किये गये  चीनी पर प्रोत्साहन उनके मासिक रिलीज कोटा में अक्टूबर 2021 से दोगुना कर दिया गया है.’’

 

यह इथेनॉल उत्पादन के लिए अतिरिक्त गन्ना/चीनी का उपयोग करने वाले चीनी मिलों को प्रोत्साहित करने तथा ‘पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम’ के अनुरूप पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए के लिए किया गया है.

 

क्या है इथेनॉल

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.

एथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होती है लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है.

 

एथेनॉल के इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है.

इतना ही नहीं यह कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और सल्फर डाइऑक्साइड को भी कम करता है.

इसके अलावा एथेनॉल हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है.

एथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होता है. एथेनॉल फ्यूल को इस्तेमाल करने से नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आती है.

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