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गर्मी में तीसरी फसल मूंगफली उगाएं

 

मूंगफली की खेती

 

खेत का चुनाव

मूंगफली की खेती गहरी काली मिट्टी छोडक़र सभी प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है।

मूंगफली के अधिक उत्पादन हेतु जिस मिट्टी में कैल्शियम एवं जैव पदार्थों की अधिकता युक्त दोमट एवं बलुई दोमट अच्छी होती है।

जिसका पीएच मान 6-7 के मध्य को उपयुक्त रहती है।

 

बीज का चयन

बीज के लिए चयनित फलियों में से बुवाई के लगभग 1 सप्ताह पहले दाने हाथ या मशीन से निकाल लें।

बीज उपचार

बीज जनित बीमारियों के नियंत्रण के लिए कार्बेंडाजिम 2-3ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।

प्रारंभिक अवस्था में फसल को कीटों से बचाने के लिए 2.5 मिली/किग्रा बीज की दर से क्लोरोपायरीफास 20 ईसी से उपचारित करें एवं राइजोबियम एवं पीएसबी 10 मिली/ किग्रा बीज की दर से बीज उपचारित कर बुवाई करें।

 

बुवाई

मूंगफली की खेती खरीफ, रबी एवं ग्रीष्म ऋतु में की जाती है गर्मी (जायद) की फसल की बुवाई 15 मार्च के अंदर हो।

 

बीज दर

झुमका (गुच्छेदार) किस्मों के लिए सामान्यत: 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर जबकि फैलने वाली एवं अर्ध फैलने वाली किस्मों के लिए 80 किलोग्राम प्रति हे. पर्याप्त होती है।

दूरी- झुमका (गुच्छेदार) किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 30 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखते हैं।

इसी प्रकार फैलने वाली एवं अर्ध फैलने वाली के लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखते हैं।

 

किस्में

जायद मौसम के लिए किस्में – जीजी-20, टीजी-37 ए, टीपीजी- 41, जीजी-6, डीएच – 86, जीजेजी-9 इत्यदि।

 

खाद एवं उर्वरक

अच्छी पैदावार हेतु 50 क्विंटल प्रति हे. सड़ा गोबर खाद का प्रयोग करें।

उर्वरक एनपीके 20:60:20 किग्रा प्रति हे. पर्याप्त होता है। इनके साथ 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर जिंक सल्फेट का आधार खाद के रूप मे प्रयोग करने से उपज में 20-22 प्रतिशत तक वृद्धि देखी गई है।

 

सिंचाई

गर्मी में मूंगफली की खेती के लिए भूमि के अनुसार 5-6 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ती हैै।

रबी की सरसों, चना, मसूर, मटर, आदि फसलों की कटाई के बाद एक जुताई कर पलेवा करके खेत तैयार कर बुवाई करें।

पहली सिंचाई अंकुरण के बाद (12-15 दिन), दूसरी सिंचाई 25-30 दिन बाद, तीसरी सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद, चौथी सिंचाई 55-60 दिन बाद और अंतिम सिंचाई बुवाई के 70-80 दिन बाद करें।

 

खरपतवार नियंत्रण

निदाई-गुड़ाई खुरपी या हैंड हो से कर सकते हैं।

खड़ी फसल में इमेजाथायपर या क्युजालोफाप इथाइल की 100 मि.ली./हे. सक्रिय तत्व का 400-500 लीटर पानी में घोल बनाकर 15-20 दिन बाद प्रयोग करें साथ ही एक निराई गुड़ाई बुवाई के 25-30 दिन बाद अवश्य करें, जो कि तंत ु(पैगिंग) प्रक्रिया में लाभकारी होता है ।

 

खुदाई

जब पत्तियों का रंग पीला पडऩे लगे एवं फलियों के अंदर का एनिन का रंग उड़ जाए तथा बीजों के खोल रंगीन हो जाए तो खेत में हल्की सिंचाई कर लें एवं पौधे से फलियों को अलग कर लें और खुदाई के बाद धूप सुखा कर रखें।

 

भंडारण

मूंगफली की उचित भंडारण एवं अंकुरण क्षमता को बनाए रखने हेतु कटाई के बाद सावधानीपूर्वक सुखायें।

भंडारण करते समय पके हुए दानों में नमी की मात्रा 8-10 प्रतिशत से अधिक नमी होने पर मूंगफली में पीली फफूंद द्वारा अफ्लाटॉक्सिन नामक तत्व पैदा होता है जो पशुओं एवं मानव के लिए हानिकारक होता है।

यदि मूंगफली को तेज धूप में सुखाया जाता है तो अंकुरण का हास्य होता है।

 

पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु उर्वरकों का प्रयोग किग्रा/हे.
यूरिया एसएसपी एमओपी
समूह -1  43 375 33
समूह -2  109 63 33

source : krishakjagat

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