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इधर बारिश का सितम, वहां मंडी में कम हुई सरसों की आवक

इस साल के मुकाबले पिछले साल सरसों के मंडी भाव काफी कम रहे, लेकिन अब सरसों की कीमतें बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं.

मौसम की मार और आयात शुल्क में वृद्धि को इसकी वजह बताया जा रहा है.

 

इन वजहों से भी बढ़ सकती है फूड ऑइल की महंगाई

भारत को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन इस सफर में चुनौतियां कम नहीं है.

इस साल निर्धारित लक्ष्य से अधिक सरसों की पैदावार मिलने का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन मौसम की मार ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया.

उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में कटाई से पहले तेज आंधी और बारिश के कारण सारी सरसों खेतों में ही झड़ गई.

फिलहाल हालात ये है कि सरसों का काफी नुकसान हुआ है, इसलिए मंडियों में भी सरसों की आवक कम हो गई है.

पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि मंडी में सरसों और सोयाबीन की आवक काफी कम हो गई है, जिससे बिकवाली पर भी साफ असर दिख रहा है.

इसकी सबसे बड़ी वजह मौसम के अनिश्चितकालीन बदलाव ही हैं.

 

10-12 फीसदी नुकसान

सरसों की पैदावार और आवक को लेकर मंडी जानकारों का कहना है कि इस तरह का नुकसान हर साल देखने को मिल ही जाता है,

लेकिन इस बार सरसों में 10-12 फीसदी नुकसान की आशंका जताई जा रही है.

दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के मद्देनजर खाद्य तेलों के आयात पर 20 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया है.

 

क्या किसानों को मिल पाएंगे सही दाम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य तेलों पर 20 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के पीछे कई वजहें थी.

दरअसल, पिछले साल के मुकाबले इस साल सरसों के मंडी भाव काफी कम रहे हैं,

इसलिए किसान भी जल्दी से अपनी सरसों की उपज बाजार में बिकवाली के लिए नहीं उतार रहे थे.

लेकिन अब आयात शुल्क बढ़ने के बाद लोकल मार्केट में सरसों के तेल की डिमांड-सप्लाई पूरी करने के लिए इसकी खरीद बढ़ेगी और किसानों को भी बेहतर दाम मिलने की संभावनाएं प्रबल होंगी.

मंडी एक्सपर्ट्स की मानें तो किसानों को सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,450 रुपये प्रति क्विंटल तक मिलने की पूरी उम्मीदें हैं.

 

बढ़ेगी सरसों के तेल की मांग

मंडी के जानकारों का मानना है कि पाम तेल पर आयात शुल्क बढ़ने से इसकी कीमतों में भी इजाफा होगा.

अब उपभोक्ताओं को सरसों का तेल काफी सस्ता पड़ता है, इसलिए सरसों के तेल की मांग बढ़ने की संभावना ज्यादा है.

अभी देश की अलग-अलग मंडियों में सरसों के दाम 4,500 रुपये प्रति क्विंटल तक हैं.

कई किसान बारिश के कारण भीगी हुई उपज सूखने का इंतजार कर रहे हैं तो कुछ सरसों के दाम बढ़ने की उम्मीद में इसका भंडारण किए हुए हैं.

बता दें कि इस साल फरवरी में अचानक गर्मी बढ़ने से सरसों की फसल को काफी नुकसान हुआ.

इसका दाना पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाया और छोटा रह गया. इससे तेल की मात्रा भी कम रह गई.

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