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कैसे फसल चक्र से हर साल बढ़ती जाएगी आपकी कमाई

 

कृषि वैज्ञानिक ने बताया

 

सालों से चली आ रही गेहूं-धान जैसी परंपरागत फसलों को उगाते आ रहे हैं, जो हर सीज़न में रिस्क नहीं ले सकते.

खेती की इस परंपरागत तरीके को ‘मोनोकल्चर’ कहा जाता है. आइए अब इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

 

किसान अपने खेतों में बार-बार एक ही फसल लगाकर अच्छी कमाई करने की सोचते हैं लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है.

मेहनत के मुताबिक उन्हें फसल नहीं मिल पाती है. ये सब जमीन की उपजाऊ क्षमता की वजह से होती है.

इसीलिए कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि फसल चक्र एक एसी विधि है जिसमें अतरिक्त लागत कुछ भी नहीं लगती है.

वहीं, कमाई भी बढ़ती जाती है. आपको बता दें कि सालों से चली आ रही गेहूं-धान जैसी परंपरागत फसलों को उगाते आ रहे हैं, जो हर सीज़न में रिस्क नहीं ले सकते.

खेती की इस परंपरागत तरीके को ‘मोनोकल्चर‘ कहा जाता है. आइए अब इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

डाक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्व विद्यालय पूसा के समस्तीपुर के प्रोफेसर डाक्टर एस के सिंह इसकी विस्तार से जानकारी दे रहे हैं.

 

फसल चक्र क्या है

डॉक्टर एस के सिंह बताते हैं कि फसल चक्र, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, मिट्टी में पोषक तत्वों का अनुकूलन, और कीट, रोग कारकों और खरपतवार Disease factors and weeds के दबाव से निपटने के लिए एक ही भूखंड पर क्रमिक रूप से विभिन्न फसलें लगाने की विधि है.

 

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि एक किसान ने मकई का खेत बोया है. जब मकई की फसल समाप्त हो जाती है, तो वह फलियों वाली फसल (दलहनी फसल) लगा सकता है, क्योंकि मकई बहुत अधिक nitrogen की खपत करती है और फलियाँ नाइट्रोजन को मिट्टी में लौटा देती हैं.

 

क्या करना होगा

डॉक्टर एस के सिंह के मुताबिक एक साधारण फसल चक्र में दो या तीन फसलें शामिल हो सकती हैं, और जटिल रोटेशन में एक दर्जन या अधिक शामिल हो सकते हैं.

विभिन्न पौधों की अलग-अलग पोषण संबंधी आवश्यकताएं होती हैं और विभिन्न रोगजनकों और कीटों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं.

 

यदि कोई किसान हर साल ठीक उसी जगह पर एक ही फसल लगाता है, जैसा कि पारंपरिक खेती में आम है, तो वह लगातार वही पोषक तत्व मिट्टी से निकालता है.

कीट और रोग खुशी-खुशी खुद को एक स्थायी घर बना लेते हैं क्योंकि उनके पसंदीदा खाद्य स्रोत की गारंटी होती है.

 

क्या फायदा होगा

इस तरह की monoculture के साथ, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते स्तर की आवश्यकता होती है ताकि पैदावार अधिक हो और कीड़े और बीमारी को दूर रखा जा सके.

फसल चक्र से कृत्रिम आदानों के बिना पोषक तत्वों को मिट्टी में वापस लाने में मदद मिलती है.

 

यह अभ्यास कीट और रोग चक्रों को बाधित करने, विभिन्न फसलों की जड़ संरचनाओं से biomass बढ़ाकर मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने और खेत पर जैव विविधता को बढ़ाने के लिए भी काम करता है.

मिट्टी में जीवन विविधता पर पनपता है, और लाभकारी कीड़े और परागणक भी जमीन के ऊपर की विविधता के लिए आकर्षित होते हैं.

 

इस प्रकार से फसल चक्र अपनाने मात्र से मृदा स्वास्थ को बनाए रखने में मदद के साथ साथ रोग एवं कीड़ों को प्रबंधित करने सहायता मिलती है, जबकि इसको अपनाने में अतरिक्त लागत कुछ भी नही लगता है.

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