गाय-भैंस का दूध निकालते वक्त रखें इन खास बातों का ध्यान

गाय और भैंस का दूध निकालते समय पशुपालकों को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. ताकि वह अधिक मात्रा में दूध का उत्पादन प्राप्त कर सकें.

क्या आप जानते हैं कि गाय-भैंस का दूध निकालने का सही समय क्या है और किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

अगर नहीं तो यहां जानें…

 

सही विधि और समय

भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग आज भी अपने जीवन का मुख्य व्यवसाय गाय-भैंस/ Cattle Business है.

गाय और भैंस से दूध निकालकर वह अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप गाय-भैंस से अधिक दूध चाहते हैं, तो इसके लिए आपको दूध निकालने का सही समय के बारे में पता होना चाहिए. 

आमतौर पर पशुओं से दूध निकालने का सही समय सुबह और शाम का होता है, लेकिन अगर इन दोनों समय में से कोई एक टाइम का चयन करना होगा. ताकि दूध उत्पादन की मात्रा में बढ़ोतरी हो सके.

 

दूध निकालने का सही समय

एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर पशुपालक अपने पशुओं से अधिक मात्रा में दूध उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, तो सुबह का समय सबसे अच्छा माना गया है.

सुबह सूरज निकलने के कुछ देर के बाद अगर आप अपने पशुओं का दूध निकालते हैं, तो आपको अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन प्राप्त होगा.

ऐसा इसलिए क्योंकि रातभर पशु आराम करने से उनके थनों में दूध अच्छे से जम जाता है और फिर सुबह जब आप दूध निकालते हैं, तो वह अच्छे से बाहर निकल जाता है.

इसके अलावा पशु के रात भर का खाना खाने के बाद वह सुबह तक अच्छे से पच जाता है, जिससे सुबह तक दूध का उत्पादन बढ़ जाता है.

वहीं, अगर आप शाम के समय गाय-भैंस का दूध निकालते हैं, तो आपको सुबह के मुकाबले कम दूध उत्पादन प्राप्त होगा.

क्योंकि पशु दिनभर थकान भरे रहते हैं, जिसका असर उनके दूध पर देखने को मिलता है.

 

दूध निकालते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • दूध निकालने से पहले थनों को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए. इसके लिए हल्के गुनगुने पानी का उपयोग करें.
  • गाय-भैंस का दूध निकालते समय आपको आरामदायक वातावरण देना चाहिए, ताकि वे तनाव मुक्त महसूस करें.
  • दूध निकालते समय पशुओं के आसपास शांति बनाए रखें.
  • ध्यान रहे कि गाय-भैंस का दूध निकालते समय थनों को हल्के हाथों से दबाकर दूध निकालें.
  • पशुओं के थनों को अधिक खींचने या दबाव डालने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से थनों को चोट लग सकती है.
  • पशुओं के थनों में एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है.

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