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हैदराबाद में सीखे गुर, बदनावर में ड्रैगन फ्रूट की खेती की तैयारी

 

तहसील में पश्चिमी क्षेत्र के प्रगतिशील किसान परपंरागत खेती को छोड़ उद्यानिकी की ओर अग्रसर हो गए हैं। यही कारण है कि यहां अमरूद, नींबू, अनार, स्ट्राबेरी की उद्यानिकी बड़े स्तर पर की जा रही है।

यहां के फलों की मांग देश की राजधानी दिल्ली, आर्थिक राजधानी मुंबई, गुजरात, राजस्थान समेत देश अन्य प्रांतों में भी हैं और वहां के व्यापारी यहां खरीदी करने भी आते हैं।

अब किसान विदेशों से आयातित ड्रैगन फ्रूट (कमलम) की खेती की ओर रुझान कर रहे हैं। इसके लिए ग्राम जाबड़ा के 6 किसान पिछले दिनों हैदराबाद गए थे और वहां ड्रैगन फ्रूट की फसलों का अवलोकन कर खेती करने के गुर सीखकर आए हैं। शीघ्र ही इसकी खेती करने की योजना को मूर्त रूप देंगे।

 

तहसील के पश्चिमी क्षेत्र के ग्राम जाबड़ा, तिलगारा, संदला, रूपाखेड़ा, करणपुरा, संदला, भैंसोला आदि के किसानों ने टमाटर, मिर्च एवं सोयाबीन की फसलों में होने वाली नुकसानी के कारण उद्यानिकी की ओर रुख कर लिया है।

इसमें शासन की ओर से अनुदान का भी प्रावधान है। इसलिए वर्तमान में यहां 300 हेक्टेयर में अमरूद, 250 हेक्टेयर में नींबू, 10 हेक्टेयर में स्ट्राबेरी के अलावा एप्पल बेर, अनार, स्ट्राबेरी, पपीता, डिवाइन गुलाब आदि की सफलतापूर्वक उद्यानिकी कर रहे हैं। यहां के फलों की मांग अन्य प्रदेशों में होने और मुनाफा मिलने से धीरे-धीरे इनका रकबा वर्ष दर वर्ष बढ़ रहा है।

 

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अब किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का मन बना रहे हैं। इसके लिए ग्राम जाबड़ा के किसान गोपाल पाटीदार, राजू पाटीदार, दिनेश पटेल सुनील शर्मा, राधेश्याम पाटीदार, गगन पाटीदार पिछले दिनों तेलागांना में हैदारबाद के निकट कोंडापुर सांगारेडडी में ड्रैगन फ्रूट की खेती देखने के लिए गए थे। वहां उन्होंने खेती करने के तौर तरीके, बाजार की मांग, खपत आदि के बारे में जानकारी ली।

किसानों का कहना है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती करना महंगा सौदा जरूर है। एक एकड़ में करीब छह लाख रुपये का खर्च आता है। इनमें पौधे, ड्रिप, सीमेंट के पोल आदि शामिल हैं।

एक एकड़ में 1200 पौधे लगेंगे तथा एक खंभे के आसपास चार पौधे लगाए जाएंगे, जो उसके सहारे बड़े होंगे। इसी पर फल लगेंगे। फिलहाल छह माह में पौधे उपलब्ध हो पाएंगे। यहां की भूमि रेतीली है, जो इस फसल के लिए उपयोगी है।

 

क्या है ड्रैगन फ्रूट

ड्रैगन फ्रूट दक्षिणी अमेरिका में पाया जाता है। अब इसे पटाया, क्वीसलैंड, पश्चिमी आस्ट्रेलिया और न्यू साउथ वेल्स भी उगाया जाने लगा है। अभी यह निर्यात किया जाता है, किंतु भारत में भी इसकी खेती होने लगी है और यहां इसका नाम कमलम कर दिया गया है।

यह बेल पर लगने वाला फल है, जो कैक्टेसिया फैमिली से संबंधित है। यह सफेद गूदे वाला और लाल गूदे वाला दो प्रकार का होता है। इसके फूल भी बहुत सुंगधित होते हैं, जो रात में खिलते हैं।

इसका उपयोग सलाद, मुरब्बा, जैली और शेक बनाकर किया जा सकता है। ड्रैगन फ्रूट में कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए की प्रचुर मात्रा होती है। इसमें प्राकृतिक एंटीआक्सीडेंट प्रभाव के साथ-साथ फ्लेवोनोइड, फैनोलिक एसिड, एस्कार्बिक एसिड फायबर होता है।

ये सभी तत्व ब्लड शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। यह हमें स्वस्थ रखने के साथ कुछ शारीरिक समस्याओं से उभरने में मदद कर सकता है।

 

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source : naidunia

 

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