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गन्ने की खेती कर गुड़ बनाया, खेती को बनाया लाभ का धंधा

 

खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए प्रदेश और देश की सरकार नित नए प्रयोग और कई योजनाएं लागू कर रही हैं, लेकिन किसानों के लिए खेती अभी भी मुनाफे का सौदा नहीं बन पा रही है। श्योपुर तहसील के तिल्लीपुर गांव के किसान हरिशंकर पालीवाल ने खेती को लाभ का धंधा साबित कर दिया है। उन्होंने पारंपरिक खेती को बदलकर नकदी फसलें की। अधिकांश खेत में गन्ना उगाया और खलिहान में गुड़ बनाने वाली भट्टी बनाई। यहींं गन्‍‍‍‍ने की फसल और गुड़ से उन्होंने एक साल में ही 28 लाख कमा लिए।

 

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किसान हरिशंकर पालीवाल राष्ट्रीय किसान संगठन के पदाधिकारी भी हैं। वह न सिर्फ किसानों की समस्याओं के लिए लड़ते आ रहे हैं, बल्कि खेती को उन्नत और लाभ का धंधा बनाने में किसानों की प्रेरणा बन रहे हैं। हरिशंकर पालीवाल की तिल्लीपुर में 40 बीघा जमीन है, जिस पर धान व गेहूं की फसल हुआ करती थी, लेकिन इस बार उन्होंने गेहूं-धान की बजाय 40 बीघा में गन्‍‍‍‍ने की खेती कर डाली।

 

गन्नो की फसल तीन महीने पहले पक गई। गन्नोंं को किसी शुगर फैक्ट्री में बेचने के बजाय उन्होंने खेत में ही चरखी लगाकर गन्नोंं का जूस निकाला और भट्टी से गुड़ बनाना शुरू कर दिया। एक बीघा में 200 क्विंटल गन्ना होता है, जिससे 60 क्विंटल गुड़ बन जाता है। अभी तक पालीवाल 320 क्विंटल गुड़ बेच चुके हैं और 200 क्विंटल बनकर तैयार है। थोक में यह गुड़ 35 रुपए किलो बिक रहा है। सारे खर्च काटकर एक बीघा के गन्नोंंे बन रहे गुड़ से 70 हजार रुपए की इनकम हो रही है यानी 40 बीघा गन्नोंंे इतना गुड़ बनेगा। इससे 28 लाख से ज्यादा की आय होगी। किसान पालीवाल गुड़ को मप्र के अलावा राजस्थान के शहरों में भी सप्लाई कर रहे हैं।

 

एक बार बोया, तीन साल काटेंगे

गन्नोंंा बीज एक साल बोया जाता है, जिसमें तीन साल तक गन्‍‍‍‍ने आते हैं। एक बीघा में गेहूं की खेती पर औसतन 30 हजार रुपये का खर्च आता है। यह फसल अन्य फसलों से मुनाफे का फायदा है, लेकिन रखवाली और बेचने की दिक्कत के कारण किसानों का मोह इससे भंग होता जा रहा है। धान की फसल एक बीघा में 30 हजार रुपये और गेहूं 20 हजार रुपये की होती है। इस लिहाज से गन्‍‍‍‍ने की फसल धान व गेहूं से तीन से चार गुना तक मुनाफे वाली है।

 

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अगले साल और बढ़ेगा मुनाफा

गेहूं और धान से कहीं ज्यादा आय गन्‍‍‍‍ने की फसल में है। यह दूसरा वर्ष है और लागत का खर्च कम होने के कारण मुनाफा बढ़ गया है। अगले साल खेती में लागत कोई नहीं होगी, इसलिए मुनाफे में 30 हजार रुपये प्रति बीघा तक बढ़ सकता है। मैं तो कहूंगा अन्य किसानों को भी ऐसी फसलों से जुड़ना चाहिए।

-हरिशंकर पालीवाल, किसान।

 

श्योपुर जिले के किसान पारंपरिक खेती के साथ अन्य फसलों में भी रुचि दिखा रहे हैं। तिल्लीपुरा में किसान गन्‍नेकीखेती कर उससे गुड़ बनाकर बेच रहे हैं। इससे उन्हें अच्छा लाभ हो रहा है। जिले में अन्य किसानों को भी इससे सीख लेना चाहिए।

 

 

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